
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले से सरकारी निर्माण कार्य न रुके, इसके लिए बीती आठ सितंबर को नया आदेश जारी किया। इसके तहत ठेकेदार सरकारी प्रोजेक्ट में क्रश्ड स्टोन सेंड का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि, वे इसके लिए अलग से कोई राशि नहीं लेंगे। यानी उन्हें मौजूदा कीमत पर ही निर्माण कार्य करना होगा। केवल भोपाल में ही करीब एक हजार करोड़ रुपए के सरकारी निर्माण कार्य में अब इस रेत का इस्तेमाल किया जाएगा।
ऐसे बनती है
वर्टिकल शाफ्ट इंपेक्टर मशीन में 40 मिमी मोटी गिट्टियां डाली जाती हैं। मशीन में मौजूद रोटर इन गिट्टियों को तेज गति देता है। इससे गिट्टियां आपस में टकराती हैं। इनका कमजोर भाग टकराहट के कारण टूट जाता है। धीरे-धीरे गिट्टी गोल आकार में ढल जाती है, यही क्रश्ड स्टोन सैंड कहलाती है।
इस तरह फायदेमंद
जानकारों के मुताबिक 800 वर्गफीट बिल्टअप एरिया वाले मकान के निर्माण में करीब एक लाख 33 हजार किलो रेत लगती है। यानी करीब 40 हजार घनफीट रेत। एनजीटी की रोक के कारण फिलहाल राजधानी में 70 रुपए प्रति घनफीट की दर से रेत बेची जा रही है। इससे 40 हजार घनफीट प्राकृतिक रेत की कीमत करीब 2 लाख 80 हजार रुपए होगी। लेकिन क्रश्ड स्टोन सैंड 25 से 30 रुपए घनफीट की दर से मिलेगी। इस हिसाब से 40 हजार घनफीट रेत की कीमत 1 लाख 20 हजार रुपए ही होगी।