Monday, September 22

भारत बना फ्रेंच फ्राइज़ का सुपरपावर, आलू से बदल रही है किसानों की ज़िंदगी

गुजरात।  गुजरात के किसान परिवार के  जितेश पटेल ने आलू की खेती कर पारम्परिक खेती से हटकर आय में इजाफा कमाकर दिखाया हैं। अब उनकी पहल किसानो के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं। उनका परिवार पूर्व मैं पारंपरिक रूप से कपास उगाता था, लेकिन उस फसल से उनकी आय बहुत कम थी। गुजरात में साल 2001 और 2002 में पड़े सूखे ने स्थिति को और बदतर बना दिया. उसके बाद परिवार को समझ आ गया कि उन्हें कुछ और करना होगा। जितेश पटेल कहते हैं, “हमें एहसास हुआ कि हमें ऐसी फसल उगानी होगी जिसके लिए बहुत अधिक पानी की ज़रूरत न हो.” इसलिए, उन्होंने आलू उगाना शुरू किए. शुरुआत में उन्होंने खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले आलू उगाए. लेकिन उनसे उतनी कमाई नहीं हुई जितनी कपास से होती थी. साल 2007 में गुजरात में फ्रेंच फ्राइज़ बनाने वाले पहुँचे. तब से जितेश पटेल ने खाद्य उद्योग में इस्तेमाल होने वाले आलू की किस्में उगाना शुरू कर दिया. यह एक सफल

 रणनीति साबित हुई।

बड़ा हैं निर्यात

आलू के बाज़ार पर वर्षों से नज़र रखने वाले देवेंद्र के बताते हैं कि आलू का सबसे महत्वपूर्ण बाज़ार एशिया में है, इस साल में, भारतीय फ़्रोजन फ़्राइज़ का मासिक निर्यात पहली बार 20,000 टन के आंकड़े को पार कर गया है. फ़रवरी तक, भारत का फ़्राइज़ निर्यात कुल 181,773 टन रहा, जो पिछले साल की तुलना में 45% ज़्यादा है। इसकी सफलता के लिए कुछ हद तक फ्रोज़न फ़्राइज़ के दाम भी ज़िम्मेदार हैं। देवेंद्र कहते हैं, “भारत के फ्रोजन फ्राइज़ दुनिया के बाज़ार में अपनी कम कीमत के लिए जाने जाते हैं। उनका कहना है कि 2024 में भारतीय फ्राइज़ की औसत कीमत चीन की तुलना में भी सस्ती थी।भारत में फ्रेंच फ्राइज़ बनाने वालों के लिए ये कमाई का दौर है। हाईफन फूड्स के सीईओ हरेश करमचंदानी कहते हैं, “भारत अपनी प्रचुर कृषि उपज, कम लागत से मैन्युफैक्चरिंग और गुणवत्ता मानकों पर बढ़ते ध्यान के कारण एक अहम निर्यातक के रूप में उभरा है। हाईफन के गुजरात में आलू प्रसंस्करण के सात प्लांट हैं।  कंपनी साल 2026 तक दो अन्य प्लांट भी शुरू करने जा रही है।