Wednesday, September 24

महाराष्ट्र : सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने पर होगा देशद्रोह का केस

maharashtra_cm_devendra_fadnavis_05_09_2015मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि सरकार के खिलाफ टिप्पणी करने पर देशद्रोह का केस दर्ज होगा। हालांकि उसने स्पष्ट किया है कि देशद्रोह का केस उन पर नहीं होगा जो बगैर किसी घृणा और अवमानना के कानूनी तरीकों से सरकार में बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।

विपक्ष ने इन दिशा-निर्देशों को लोकतंत्र विरोधी और खतरनाक बताया है। सरकार ने 27 अगस्त को ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी केस में बॉम्बे हाई कोर्ट को दिए गए आश्वासन के संदर्भ में राज्य के पुलिस थानों को जारी किए गए हैं।

तीन साल पहले कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी पर महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने देशद्रोह का मुकदमा लगाया था, लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार ने देशद्रोह का केस हटा दिया था। असीम ने दिसंबर 2011 में मुंबई में अण्णा आंदोलन के वक्त आपत्तिजनक कार्टून बनाए थे।

अब महाराष्ट्र सरकार ने इसी केस में हाई कोर्ट के निर्देश का हवाला देते हुए सर्कुलर जारी किया है। नफरत, अपमान, विद्रोह, हिंसा को माना देशद्रोह इस सर्कुलर के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लिखकर, बोलकर, संकेतों के जरिए या चित्रों के माध्यम से या किसी भी और तरीके से राज्य या केंद्र सरकार के खिलाफ नफरत, अपमान, अलगाव, दुश्मनी, असंतोष, विद्रोह या हिंसा का भाव पैदा करता है या ऐसा करने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124-ए के तहत कार्रवाई हो सकती है।

सर्कुलर में आईपीसी की जिस धारा 124-ए का जिक्र किया गया है, वह देशद्रोह के मामले में लागू होती है। देशद्रोह का कानून क्या है? भारतीय कानून संहिता के अनुच्छेद 124-ए के मुताबिक अगर कोई अपने भाषण या लेख या दूसरे तरीकों से सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करता है तो उसे तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।

कुछ मामलों में यह सजा उम्रकैद तक हो सकती है।