Saturday, October 18

ट्रंप टैरिफ से मुश्किल में डायमंड इंडस्ट्री: आधे से ज्यादा कारखाने बंद, लाखों की रोज़ी-रोटी पर संकट

 हीरा है सदा के लिए…आपने यह लाइन डायमंड ज्वैलरी के विज्ञापनों में सुनी-देखी होगी। लेकिन कभी शान से चमकने वाले हीरे की चमक फीकी पड़ती जा रही है। इसकी कीमत पिछले दो वर्षों में 40 प्रतिशत तक गिर चुकी है। साथ ही निर्यात लगातार तीन साल से घट रहा है। ट्रंप की और से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने से पहले से ही खास्ताहाल डायमंड इंडस्ट्री की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। सूरत के 5000 से अधिक कारखाने और मुंबई की अधिकतर डायमंड यूनिट्स निर्यात पर निर्भर है। ट्रंप की ओर से 10 प्रतिशत बेसलाइन टैरिफ से ही अमेरिकी निर्यात पर काफी घट गया है, क्योंकि अमेरिका में नेचुरल और लैब ग्रोन डायमंड पर कोई शुल्क नहीं था।

हीरा उद्योग का कहना है कि अगर 26 प्रतिशत टैरिफ लगा तो डायमंड इंडस्ट्री तबाह हो जाएगी, क्योंकि 32 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी के साथ भारत के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है। अकेले सूरत की डायमंड इंडस्ट्री में 8 लाख लोग काम करते हैं। डायमंड फैक्र्टी के मैनेजरों का कहना है कि अगर ट्रंप टैरिफ लगा तो इससे 4 लाख से अधिक कारीगरों की आजीविका पर संकट आ जाएगा। 26 प्रतिशत टैरिफ लगने से अमेरिकी निर्यात में 25 प्रतिशत से अधिक गिरावट आने की आशंका है। ट्रैरिफ पर अनिश्चितता से कई यूनिट्स ने मैन्युफैक्चरिंग बंद कर दी है, वहीं अमेरिकी खरीदारों ने भी 9 अप्रैल के बाद की डिलीवरी वाले ऑर्डर बड़े पैमाने पर कैंसिल कर दिए हैं।

एक दशक पहले मुंबई में हीरा तराशने के करीब 50,000 कारखाने थे मगर अब मुश्किल से 5,000 बच गए हैं। गुजरात के सूरत, भावनगर और बोटाद में भी यही हाल है। मुंबई और सूरत में काम नहीं है, इसलिए कंपनियों ने आधे कारीगरों की छुट्टी कर दी है। जिन कारीगरों की नौकरी बच गई है, उनके काम के घंटे कम कर दिए गए हैं, जिससे उन्हें मिलने वाली मजदूरी भी कम हो गई है।