Monday, September 22

महाकुंभ का शंखनाद होने में कुछ ही घंटों का समय बचा है। महाकुंभ के साथ ही नागा साधु बनने प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

महाकुंभ का शंखनाद होने में कुछ ही घंटों का समय बचा है। महाकुंभ के साथ ही नागा साधु बनने प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नागा साधु बनने की पहली सीढ़ी के रूप में 8000 लोग पितरों का श्राद्ध और खुद का पिंडदान कर संन्यास लेंगे। ये लोग अलग-अलग अखाड़ों की ओर से अलग-अलग मुहूर्त में विविध अनुष्ठान के साथ 24 घंटे निराहार रहकर संन्यासी जीवन धारण करेंगे। संन्यासी बनने के बाद नागा साधु बनने के अंतिम मुकाम तक पहुंचने में 10 साल तक का समय लग सकता है। कितने लोग कठिन जीवन परीक्षा पास कर मुकाम तक पहुंचेंगे, यह कहा नहीं जा सकता लेकिन संगम के किनारे ये 8000 लोग श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़े कौतुहल और चर्चा का विषय बने हुए हैं। जूना अखाड़े के प्रबंधक दिनेश मिश्र ने बताया कि अखाड़े की चार मढ़ियों (ठिकानों) के महंत संन्यासी बनने की प्रक्रिया पूरी कराते हैं। रात में अखाड़े के अंदर सभी विजया हवन करते हैं।

पंच परमेश्वर की संस्तुति के बाद इष्टदेव पूजन होता है। मुंडन, गंगा स्नान, पितरों का श्राद्ध व खुद का पिंडदान किया जाता है। देवी-देवता का स्मरण कर जनेऊ व दंड धारण, विजया हवन होता है। रात में गंगा में दंड, शिखा व सूत्र (जनेऊ) के विसर्जन के बाद महामंडलेश्वर उन्हें दीक्षा देते हैं।