Monday, September 22

चार-पांच दिनों से थुलथुली की पहाड़ी पर नक्सली जमा हो रहे थे। इस सूचना के आधार पर नारायणपुर और दंतेवाड़ा से ज्वाइंट ऑपरेशन लॉंच किया गया था।

अबूझमाड़ में हुई छत्तीसगढ की सबसे बड़ी मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की इतनी बड़ी संख्या नक्सल संगठन को चौंका रही है। इस मुठभेड़ में बड़े नक्सली नेता मारे गए हैं। वो समझ ही नहीं सके कि दंतेवाड़ा की फोर्स हांदावाड़ा की ओर से तीन पाहाडिय़ों को पार कर उनको घेर लेगी। 10 किमी के दायरे में ये मुठभेड़ हुई है।

नारायणपुर की फोर्स ने तो सिर्फ बैकअप दिया था। जवानों ने एसकेजेडसी इंचार्ज नीति जैसी थिंक टैंक को मार दिया। ये संगठन को हजम ही नहीं हो रहा है। इस मुठभेड़ के बाद माड़ के आधा दर्जन से अधिक गांव में सन्नाटा पसरा है। कई घरों में चूल्हे तक नही जले हैं। नक्सलियों के सूचना तंत्र को कुचलना ही जवानों की सबसे बड़ी जीत थी।
लगातार नक्सलियों के सुरक्षित स्थान में हो रही मुठभेड़ पर मंथन करने की सभी नक्सल नेता गबाड़ी की पहाडिय़ों में जुटे हुए थे। इस बात की भनक पुलिस के सूचना तंत्र को लगी चुकी थी।
मुठभेड़ स्थल को देखने के बाद पता लगता है कि नक्सली जवानों से एक पल भी मोर्चा नहीं ले सके। इसके पीछे बड़ी वजह है नक्सली वहां सिर्फ संगठनात्मक चर्चा करने के लिए एकत्र थे। 10 किमी के दायरे में हुई मुठभेड़ में सिर्फ नक्सली खुद को बचाने में लगे हुए थे। दंतेवाड़ा और नारायणपुर की फार्स की बनाई रणनीति के आगे वे विफल हो गए।