Tuesday, September 23

मेरे अंदर एक तूफान सा मचा था, मेरी यहां तक की जर्नी की पूरी पिक्चर आंखों के सामने घूम रही थी।

पेरिस पैरालंपिक की बैडमिंटन प्रतियोगिता के पुरुष एकल एसएल-3 वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाले नितेश कुमार ने कभी मन बहलाने के लिए बैडमिंटन खेलना शुरू किया था, लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था कि वे एक दिन पैरालंपिक चैंपियन बन जाएंगे। नितेश ने पत्रिका से विशेष बातचीत में कहा कि मेडल सेरेमनी में जब मैं पोडियम पर खड़ा था तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं सच में यहां हूं। मेरे अंदर एक तूफान सा मचा था, मेरी यहां तक की जर्नी की पूरी पिक्चर आंखों के सामने घूम रही थी। गौरतलब है कि नितेश के परिजन जयपुर में ही रहते हैं, हालांकि वे खुद हरियाणा के करनाल में वरिष्ठ बैडमिंटन कोच हैं।

नितेश ने कहा, मेरा सपना सच हो गया। विश्व के दिग्गजों के बीच अपने आप को सिद्ध करके मैंने देश को पदक दिलाया। पैरालंपिक की योग्यता प्राप्त करने के बाद दिन-रात मेरे मन में यही चलता रहता था कि वहां मैं ऐसा प्रदर्शन कर पाऊंगा। लेकिन देशवासियों की दुआओं, परिजनों और मेरे कोच के आशीर्वाद से मैंने अपने पहले पैरालंपिक खेलों में ही स्वर्ण पदक जीत लिया।

नितेश ने बताया कि बचपन से ही मुझे खेलों से लगाव था और मैं फुटबॉलर बनना चाहता था। मेरे पापा नौसेना में थे, इसलिए उनकी सर्विस के दौरान सभी जगह खेलों का वातावरण मिला। 2009 में आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में एक ट्रेन दुर्घटना में मेरा बायां पैर चोटिल हो गया। कई महीनों तक बिस्तर पर पड़ा रहा। तब मेरे पापा ने मेरा हौसला बढ़ाया। उसके बाद मैंने आईआईटी प्रवेश परीक्षा पास की। 2013 में मंडी आइआइटी में दाखिला लिया।