Monday, September 22

अफ्रीका रीजन के एक छोटे से देश बोत्सवाना के लेत्साइल टेबोगो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले अफ्रीकी एथलीट बन गए हैं। कभी उनके पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे, अब उन्‍होंने पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण जीत रच दिया इतिहास।

अफ्रीका रीजन के एक छोटे से देश बोत्सवाना को पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले लेत्साइल टेबोगो ने यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष किया है। ओलंपिक में गुरुवार रात पुरुषों की 200 मीटर दौड़ में प्रबल दावेदार माने जा रहे अमरीका के नूह लाइल्स को पछाड़ कर स्वर्ण पदक जीतने वाले टेबोगो ने बताया कि एक समय ऐसा था जब वे बिना जूतों के फुटबॉल और एथलेटिक्स की ट्रेनिंग किया करते थे। 19.46 सेकेंड में रेस पूरी करने वाले टेबोगो ने कहा, जूते बहुत महंगे आते थे और मेरे परिजन इतना खर्चा वहन नहीं कर सकते थे। इसलिए मैं बिना जूतों के ट्रेनिंग करता था।

अंकल के पुराने कपड़े पहनते थे

टेबोगो ने बताया, मेरा परिवार काफी बड़ा था, इसलिए किसी एक बच्चे की ख्वाहिश पूरा करना परिजनों के लिए काफी मुश्किल था। मेरे पास एक जोड़ी पुरानी पेंट थी, जो मेरे अंकल अपने स्कूल में पहना करते थे। बस वहीं पहन कर मैं ट्रेनिंग करने जाया करता था।

मैं एथलेटिक्स का चेहरा नहीं बन सकता

टेबोगो ने कहा, मैं एथलेटिक्स का चेहरा नहीं बन सकता, मैं नूह लाइल्स की तरह शोरगुल पसंद और आक्रामक नहीं हूं। यहां पेरिस ओलंपिक के 200 मीटर फाइनल के दौरान भी मैं बस अपनी मां के बारे में सोचता रहा और फिनिशिंग लाइन पार कर गया। टेबोगो की मां का मई में निधन हो गया था। उन्हें काफी समय लगा इस सदमे से उबरने में। टेबोगो ने कहा, मैं कोशिश करता हूं कि मां की यादों को अपने ऊपर हावी ना होने दूं और आगे बढ़ जाऊं। लेकिन यहां मैं बस अपनी मां के लिए ही पदक जीतना चाहता था।