Tuesday, September 23

सिरोंज-भोपाल रोड अब तक नहीं बनी–सीएम ने 3 साल पहले किया था भूमिपूजन

bpl-n2498480-largeसिरोंज। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए भूमिपूजन के बाद भी सिरोंज-भोपाल रोड की स्थिति में सुधार नहीं हो सका है। 181 करोड़ रुपए की लागत से बन रही इस सड़क का एक चौथाई काम भी पूरा नहीं हुआ है। सड़क के गड्ढे लोगों के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए हैं। सड़क निर्माण तेज करने के लिए बस आपरेटरों द्वारा की गई हड़ताल एक बार फिर बेनतीजा साबित हुई। जनता की परेशानी की चिंता न प्रशासन को दिखाई दे रही है और न ही क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को।

सिरोंज-भोपाल रोड की दुर्दशा किसी से छुपी नहीं है। हर गुजरते दिन के साथ ही इस सड़क के गड्ढों में इजाफा होता जा रहा है। अभी तक सिरोंज से कांकरखेड़ी के बीच स्थित 13 किलोमीटर तक का सड़क का हिस्सा अच्छी स्थिति में था लेकिन अब वह भी पूरी तरह जर्जर होता जा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी की वजह से इस सड़क पर बड़ी संख्या में एक से डेढ़ फीट गहरे और दस से बारह फीट चौड़े गड्ढे हो गए हैं। इन गड्ढोंं का आकार लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

इसमें भी कांकरखेड़ी की घाटी से शमशाबाद के बीच की सड़क के हालत तो बेहद ही खस्ता हो गई है। इस खस्ताहाल सड़क पर सभी प्रकार के वाहन हिचकोले खाते हुए चलते दिखाई देते हैं। सड़कों के गड्ढे दुर्घटना का सबब भी बन रहे हैं। मोटरसाइकल एवं चौपहिया वाहन चालक आए दिन दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। इनमें शहर की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र के रहवासियों की संख्या ज्यादा है। सड़क निर्माण तो दूर की बात है प्रशासन द्वारा सड़क की मरम्मत की कोशिश भी नहीं की जा रही है।

निर्माण कंपनी के आगे सब हैं नतमस्तक : तीन साल पहले सिरोंज-भोपाल रोड निर्माण के लिए 181 करोड़ रुपए की स्वीकृति हुई थी। डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने करोद चौराहे पर इस सड़क का भूमिपूजन किया था। एमपीआरडीसी की इस सड़क के निर्माण का ठेका ट्रांसट्राय कंपनी को मिला है। कंपनी द्वारा बेहद धीमी गति से सड़क निर्माण किया जा रहा है। डेढ़ साल में कंपनी द्वारा भोपाल-बैरसिया मार्ग का निर्माण ही पूर्ण नहीं किया है।

एमपीआरडीसी के अधिकारियों द्वारा हर बार ट्रांसट्राय कंपनी को नोटिस देने की बात कही जाती है लेकिन सख्त कार्रवाई एक बार भी नहीं की गई। इसका खामियाजा क्षेत्र के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। भोपाल-सिरोंज रोड पूरी तरह उखड़ चुकी है। इस कारण बस आपरेटरों ने की थी हड़ताल, जो बेनतीजा गुरुवार को खत्म हुई।