प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आज 9 साल के अंदर दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले प्रधानमंत्री आज विपक्ष के सवालों का जवाब देंगे। लेकिन वोटिंग से पहले ही भाजपा नीत NDA को जोर का झटका लगा है। बता दें कि सहयोगी सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगा।
यह जानकारी लोकसभा सांसद सी लालरोसांगा ने दी है। वैसे इस अविश्वास प्रस्ताव से मोदी सरकार को किसी भी तरह का खतरा नहीं हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी नीत NDA के पास बहुमत से ज्यादा वोट है खुद भाजपा के पास 303 सांसद है, जबकि बहुमत के लिए 272 सांसदों की ही जरूरत होती है।
केंद्र सरकार के खिलाफ वोट करेगी पार्टी- लालरोसांगा
आज शाम अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाले वोटिंग से पहले पार्टी के सांसद लालरोसांगा मीडिया से बात की। उन्होंने गुरुवार को कहा कि सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि वह मणिपुर सरकार और पड़ोसी राज्य में जातीय हिंसा से निपटने में केंद्र की विफलता के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे।
मणिपुर हिंसा रोकने में नाकामयाब रही केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करूंगा। ऐसा इसलिए नहीं है कि मैं कांग्रेस का समर्थन करता हूं या भाजपा के खिलाफ जाना चाहता हूं। बल्कि मणिपुर में भड़की हिंसा की स्थिति को संभालने में असफल रही सरकार खासतौर से राज्य सरकार के प्रति अपना विरोध दर्ज कराने के लिए समर्थन करूंगा।
बैठक में लिया गया फैसला
सांसद लालरोसांगा ने कहा कि मिजो नेशनल फ्रंट संघर्षग्रस्त मणिपुर में जो जातीय लोगों की स्थिति से बहुत आहत है। इस बारे में पार्टी अध्यक्ष जोरमथांगा, मिजोरम के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के साथ चर्चा की गई और अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का फैसला लिया गया। वहीं, एमएनएफ के राज्यसभा सांसद के वनलालवेना, जो हमेशा से ही मणिपुर मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए आ रहे हैं, ने कहा वह स्थिति से निपटने के सरकार के तरीके के खिलाफ संसद में अपनी आवाज उठाना जारी रखेंगे।
लोकसभा में कौन किस पर भारी?
2019 के आम चुनावों में भाजपा नीत गठबंधन को लोकसभा को प्रचंड बहुमत मिला था। NDA को लोकसभा की कुल 543 में से 331 सीटों पर जीत मिली थी। खुद भाजपा 303 सीट जीतने में कामयाब रही थी। वहीं लोकसभा में बहुमत के लिए 272 सांसदों की ही जरूरत होती है, जबकि विपक्षी गुट इंडिया की संयुक्त ताकत 144 है। निचले सदन में गैर-गठबंधन दलों के सांसदों की संख्या 70 है।