भोपाल. प्रदेश की एक तिहाई आबादी को रोज पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसा नहीं कि छोटे शहरों में पेयजल संकट है। इंदौर, ग्वालियर सहित 8 बड़े नगर निगम एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई कर रहे हैं। नर्मदा को शिप्रा नदी में मिलाने के बाद उज्जैन को रोज पानी नहीं मिल रहा है।
राजनीति में अच्छी पैठ रखने वाले नेताओं के क्षेत्र में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। वित्त मंत्री जयंत मलैया, जिनके पास जल संसाधन विभाग भी है। उनके ही गृह क्षेत्र दमोह की स्थिति राज्य में सबसे विकराल है। यहां सप्ताह में एक दिन पानी की सप्लाई हो रही है।
इसी तरह छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद चुने गए कांग्रेस के कद्दावर नेता कमलनाथ के संसदीय क्षेत्र में नगर परिषद बड़कुही में आठ दिन में एक बार पानी मिल रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मत्री गोपाल भार्गव सहित कई मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्र में आने वाली निकायों में पानी की सप्लाई नियमित नहीं है। इसको लेकर राज्य सरकार का दावा है कि अल्प वर्षा के कारण यह स्थिति बनी है। हालांकि मई-जून में स्थिति विकराल न हो, इसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है।
मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग ने प्रदेश में पेयजल की स्थिति की एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें यह जानकारी सामने आई कि 369 मे से 294 निकाय ही रोजाना पानी की सप्लाई कर पा रहे हैं। इसकी वजह प्रदेश में अल्प वर्षा होना बताया गया है।
विभाग के आयुक्त संजय शुक्ला ने 4 मार्च को नगर निगमों के आयुक्त और नगर पालिकाओं के सीएमओ को निर्देश जारी कर दिए हैं कि नदियों में पानी रोकने के लिए स्टॉप डेम का निर्माण किया जाए। पानी का अपव्यय रोकने के लिए पाइपलाइन के लीकेज का तत्काल सुधार कार्य कराय जाए।
इसके अलावा पेयजल संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार ने स्थाई निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक कार्ययोजना तैयार कर राज्य शासन को भेजें, ताकि समय रहते क्रियान्वयन हो सके। राज्य सरकार का मानना है कि पेयजल संकट बिजली कटौती के कारण नहीं बल्कि जलाशयों, नदियों व कुओं का जलस्तर कम होने के कारण पैदा हो सकता है।
बुंदेलखंड की स्थिति ज्यादा खराब : बुंदेलखंड में गर्मी के मौसम में ज्यादा खराब हो सकती है। टीकमगढ़ जिले की सभी दस निकायों द्वारा एक दिन छोड़कर पानी की सप्लाई की जा रही है। जबकि दमोह की चार में से दो में दो दिन छोड़कर और दो निकाय क्षेत्र में इससे अधिक दिन में पानी मिलता है। छतरपुर की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है।
यहां की सभी 11 निकाय पिछले कई सालों से रोज पानी सप्लाई नहीं कर पा रहीं हैं। सागर की स्थिति भी ठीक नहीं हैं। यहां 10 में से केवल चार निकायों में रोज पानी उपलब्ध है। यह स्थिति तब है जब बुंदेलखंड पैकेज में इस क्षेत्र को करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने आवंटित किए हैं।