कांग्रेस में कलह थमती नजर नहीं आ रही। वसुंधरा के कथित भ्रष्टाचार की जांच नहीं होने के चलते सचिन पायलट अनशन पर बैठ गए हैं। वहीं दिल्ली से पहले कांग्रेस की ओर से कहा गया कि जांच तो राजस्थान में सरकार गिराने की साजिश की भी की जा रही है। उधर, रात करीब 11 बजे प्रदेश प्रभारी रंधावा ने कहा कि पायलट से संपर्क में हैं, अनशन पार्टी विरोधी गतिविधि है। इस बीच गहलोत खेमा फिलहाल खामोश है।
किसी विधायक या मंत्री को न्योता नहीं:
मंगलवार को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट शहीद स्मारक पर अनशन करेंगे। मुद्दा वसुंधरा शासन में भ्रष्टाचार की जांच की मांग है, अनशन के दौरान न कोई भाषण होगा, न नारेबाजी होगी, न किसी विधायक या मंत्री को न्योता दिया है। सिर्फ कार्यकर्ता आएंगे और अनशन में शामिल होंगे। सचिन पायलट ने अनशन से एक दिन पहले ट्वीट कर राजस्थान के स्वाभिमान का संदेश देने की बात कही है। पायलट ने इसमें लिखा है कि मन में खुशी, चेहरे पर मुस्कान, हर दिल में बसता यहां, राजस्थान का स्वाभिमान। राजनीतिक गलियारों में चार लाइन के इस ट्वीट के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं।
मंत्री-विधायक को अनशन से रखा दूर:
पायलट के अनशन के दौरान विधायक और मंत्री दूर रहेंगे। इसके पीछे खास रणनीति है। यदि विधायक आएंगे तो उनके संख्या बल को लेकर बात होगी। गहलोत और पायलट के समर्थक विधायकों को गिना जाता, ऐसे में अनशन का टारगेट तो पीछे रह जाता। साथ ही इसे अनुशासनहीनता के दायरे में लिया जाता। जबकि कार्यकर्ताओं पर ऐसा कोई सवाल खड़ा नहीं हो पाएगा।
पायलट से अपील:
कांग्रेस प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट से अपील की है कि वे अनशन न करें, क्योंकि उपवास पार्टी हितों के खिलाफ है और पार्टी विरोधी गतिविधि है। रंधावा ने रात को बयान जारी कर कहा कि यदि पायलट को कोई समस्या है तो मीडिया और जनता के बजाय पार्टी मंच पर चर्चा की जा सकती है। मैं 5 महीनों से प्रभारी हूं और पायलट ने इस मुद्दे पर कभी चर्चा नहीं की।
रंधावा ने कहा कि वह पायलट के संपर्क में हैं और उनसे शांति से बातचीत की अपील की है। रंधावा ने दोहराया कि निर्विवाद रूप से सचिन पायलट कांग्रेस पार्टी के लिए एसेट हैं। दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता में पवन खेड़ा ने कहा कि राजस्थान सरकार पर भ्रष्टाचार के मामले की जांच नहीं करने का आरोप लगाना ठीक नहीं है। कोरोना के समय राजस्थान में भाजपा की ओर से विधायकों को खरीद-फरोख्त करके हमारी सरकार गिराने की साजिश हुई। उस मामले की भी जांच की जा रही है।
अनशन को लंबा करने की रणनीति भी
पायलट अपने एक दिन के अनशन को लंबा भी खींच सकते हैं, हालांकि ये समर्थकों की भीड़ को देखकर ही तय होगा। रणनीति यह भी है कि अनशन लंबा चला तो गहलोत सरकार के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है क्योंकि इससे सरकार पर जांच कराने का दबाव बढे़गा। अनशन को जबरन हटाया तो पायलट को सहानुभूति मिलेगी। सोमवार को दिन भर पायलट के निवास पर कार्यकर्ताओं के जुटाने की रणनीति बनती रही। समर्थक विधायकों को कह दिया गया कि वे अपने-अपने इलाके से कार्यकर्ताओं को जयपुर में अनशन पर भेजें।