वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन पूजन मामले में आज सोमवार को वाराणसी जिला जज डा अजय कृष्ण विश्वेश ने फैसला सुनाते मुस्लिम पक्ष की अपील खारिज कर दी। और हिंदू पक्ष की अपील स्वीकार कर ली है। हिंदू पक्ष के हक में फैसला देते हुए जिला जज ने कहाकि, श्रृंगार गौरी मामला सुनने योग्य है। मामले में अब अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। कोर्ट में मुस्लिम पक्ष फैसले के दौरान मुस्लिम पक्ष मौजूद नहीं था। मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज होने के बाद अब लीगल टीम श्रृंगार गौरी का दर्शन करेगी। फैसले के आते ही हिंदू पक्ष में खुशी की लहर फैल गई है। और सभी एक दूसरे को बधाई देने लगे। जज के आदेश देते ही कोर्ट में ही हर.हर महादेव के नारे लगने लगे। इस अवसर पर दोनों पक्षों के लोग कोर्ट में उपस्थित थे। शृंगार गौरी प्रकरण की याचिकाकर्ता पांच महिलाएं कोर्ट फैसला सुनने को बेताब थी। मई 2022 में यह मामला शुरू हुआ था। वाराणसी जिला जज डा अजय कृष्ण विश्वेश ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 24 अगस्त को सभी पक्षों की बहस पूरी कर ली थी। बताया जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष नाराज हो गया है और हाईकोर्ट में अपील करेगा।
शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की मांग जानें
ज्ञानवापी.शृंगार गौरी प्रकरण में पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में इतिहास, पुराणों संग मंदिर के इतिहास से लेकर उसके संरचना का जिक्र करते हुए दर्शन पूजन का अधिकार मांगा गया था। मांग किया है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन.पूजन के लिए सौंपा जाए और सुरक्षित रखा जाए। जिन्होंने कोर्ट में यह वाद दाखिल किया है, उनके नाम राखी सिंह हौजखास नई दिल्लीए लक्ष्मी देवी सूरजकुंड लक्सा वाराणसी, सीता साहू सराय गोवर्धन चेतगंज वाराणसी, मंजू व्यास रामधर वाराणसी और रेखा पाठक हनुमान पाठक वाराणसी हैं।
इस वाद में प्रतिवादी हैं चीफ सेक्रट्ररी के जरिए उत्तर प्रदेश सरकारए जिलाधिकारी वाराणसीए पुलिस कमिश्नरए ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज वाराण्सी को सौंपी जिम्मेदारी
दरअसलए इस मामले में तत्कालीन सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने सर्वे का आदेश जारी किया था। इसके बाद ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का सर्वे किया गया था। इसी सर्वे के बाद मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग के होने का दावा किया गया वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया। इस मामले में विवाद इतना बढ़ गया कि सर्वे के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया कमेटी सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनवाई योग्य है या नहीं पर फैसले लिए इस मुकदमे को जिला जज की अदालत में भेज दिया था।