भोपाल। लगातार बारिश और बीच-बीच में आफत बनकर बरस रहे ओलों ने प्रदेश सरकार की भी नींद उड़ा दी है। प्रारंभिक आकलन में 450 से ज्यादा गांवों में तबाही की तस्वीर सामने आई है, पर नुकसान इससे भी ज्यादा जगह हुआ है। लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी रबी की फसलें बिछ चुकी हैं। रविवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सरकारी स्तर पर किसानों को आपदा राहत देने पर विचार किया गया। किसानों को फसल बीमा योजना से मुआवजा दिया जाता है, लेकिन सरकारी स्तर पर भी यह चर्चा हो रही है कि ओलावृष्टि से जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई आपदा राहत से भी की जा सकती है। दरअसल, राजस्व पुस्तक परिपत्र की धारा 6-4 के तहत इस तरह के नुकसान में सहायता दी जा सकती है।
खरीदी आगे बढ़ाई
फसल बर्बादी के कारण सरकार ने गेहूं की खरीदी को करीब हफ्तेभर आगे बढ़ा दिया है। पहले समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी १८ मार्च से होना थी, किंतु अब यह खरीदी २५ मार्च से की जाएगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर होगी बात
फसल बर्बादी को लेकर कृषि विभाग सोमवार को सभी जिलों की हालत जानेगा। इसके लिए सोमवार दोपहर मंत्रालय से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सभी कलेक्टरों से बात होगी। कलेक्टरों को कहां कितनी बर्बादी हुई है और क्या स्थिति है इसकी पूरी रिपोर्ट लेकर कांफ्रेसिंग में आने के लिए कहा गया है।
प्रदेश के सभी कलेक्टर को निर्देश
0 तत्काल नुकसान का सर्वे करें
0 आकलन में गलत रिपोर्ट नहीं दें
0 लापरवाही करने वालों को हटाएं
0 हर दिन करें फसल नुकसान की समीक्षा
0 कलेक्टरों को फील्ड में निकलने को कहा
0 अधिक बर्बादी वाले क्षेत्र में तुरंत दौरा
प्रभावित होगा उत्पादन
बारिश से गेहूं खराब होगा। साथ ही दाने का आकार छोटा होने के साथ ही चमक भी घटेगी। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। चने का भी यही हश्र होगा। ज्यादा ओला गिरने से लहसुन के सडऩे की आशंका है। उत्पादन में भी कमी आएगी।
– गोपेश पाठक, सहायक संचालक कृषि विभाग
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भोपाल
विदिशा के लटेरी, शमशाबाद और सिरोंज तहसीलों के कुछ गांवों में ओलों ने कहर ढाया। कालादेव, जरसेना में कश्मीर जैसा नजारा देखने को मिला। १०० ग्राम तक के ओलों ने ८० फीसदी फसल बर्बाद कर दी। अशोकनगर जिले के कचनार, केशलोन, सेमरा डोंगरा, बांसखेड़ी, लपाखेड़ी, छीपोन, रातीखेड़ा, सुमेर, छज्जू बरखेड़ा, महुआखेड़ा व बर्री गांव में १५ मिनट तक ओले गिरे। क्षेत्रों में ५० फीसदी फसल नुकसान की खबरें। राजगढ़, नरसिंहगढ़ व सारंगपुर में शाम पांच बजे ओले गिरे। ४०० गांवों में नुकसान की बात कही जा रही है।
ग्वालियर
रविवार को अंचल में बारिश के साथ-साथ जमकर ओले गिरे। डबरा, भितरवार, शिवपुरी, चीनोर क्षेत्र के ५५ गांव में ओलावृष्टि से 60 फीसदी फसल बर्बाद हो गई है। गेहूं, सरसों की १.५ लाख हेक्टयेर क्षेत्र में खड़ी फसल प्रभावित हुई है। ग्वालियर जिले में २४.४ मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई।
मालवा
इंदौर, उज्जैन, शाजापुर, रतलाम में जमकर ओलावृष्टि। शाजापुर के धोबी पचौर, लसुल्डिय़ा जगमाल, पिपलिया, पलासी, कालवा सहित अन्य गांव और उज्जैन जिला मुख्यालय पर शाम को २० मिनट तक बारिश हुई।
विंध्य
रीवा में २४ घंटे में १२ मिमी बारिश से सेमरिया, सिरमौर, त्योंथर, जवा, नईगढ़ी, गुढ़ में फसलें तबाह। सतना में ११.५ मिमी बारिश। पन्ना के देवेंद्रनगर, अजयगढ़, गुनौर, शाहनगर और पवई में रविवार को दिनभर रुक-रुककर बारिश। �
महाकोशल
अंचल में चौथे दिन भी बारिश जारी रही। नरसिंहपुर में अरहर की फसल सड़ गई। मसूर, चना, बटरी की ५० फीसदी फसल बर्बाद हो चुकी है। दमोह में बारिश के चलते गेहूं, धनिया, लहसुन, चना, मसूर की फसलें बिछ गईं। वहीं कटनी में ६० से ७० फीसदी फसलें नष्ट हो चुकी हैं।