नरेन्द्र मोदी की हिन्दमहासागर यात्रा से एक नए विश्वास का जन्म हुआ है शपथ ग्रहण समारोह में जिस तरह से अपने पड़ोसी देशों के राष्टध्यक्षों को आमंत्रित करके नरेन्द्र मोदी ने यह संकेत दे दिया था कि हम सबके साथ मिलकर आगे बढऩा चाहते हैं जिससे हम मानवता की सेवा कर सकें। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए मोदी ने जापान और अमेरिका की यात्रा भी की। और भारत की धूमिल होती छवि को उजारने का प्रयास किया। और अब सेशल्स,मॉरिशस और श्रीलंका की यात्रा से हिन्द महासागर में रिश्तों की नवीन प्रगाड़ता प्रकट कर दी। हम यदि मौरिशस की बात करें तो इस देश की साठ प्रतिशन आबादी हिन्दू है इस नाते हमारा भावनात्मक जुड़ाव स्पष्ट दिखाई देता है। नरेन्द्र मोदी ने वहां की संसद को संबोधित करते हुए मॉरिशस को आर्थिक मदद की घोषणा के साथ इस देश के विकास में पूर्ण सहयोग देने का वायदा भी किया । इसी तरह श्रींलका से भी हमारा पौराणिक नाता है। रामायण काल में जिस रावण का जिक्र आता है वह श्रीलंका का राजा ही था जिसके प्रमाण आज भी वहां मौजूद हैं इतना ही नहीं सीता माता का मंदिर ही मौजूद है और यदि गौतम बुद्ध की बात करें तो बौद्ध धर्म को मानने वाले गौतम बुद्ध भी भारत भूमि पर जन्में थे इसी कारण भारत का आत्मीय लगाव है। पर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी पर हुए जानलेवा हमला ने दोनों देशों के रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी। और तमिल समर्थकों के संगठन लिट्टे ने राजीव गांधी की हत्या करवा दी जिससे श्रीलंका और भारत के बीच रिश्तों में खटास आ गई। 28 साल के बार श्री लंका की भूमि पर किसी भारत के प्रधानमंत्री ने पैर रखा है इतने लंबे समय का एक कारण यह भी रहा की तमिल नेताओं का केन्द्र की सरकार में हस्तक्षेप बना रहा जिसके चलते श्रीलंका से संबंध सुधारने का कोई ठोस प्रयास नहीं हो सका।
तमिल लोगों को नाखुश करने की हिम्मत कोई नहीं उठा पा रहा था पर मोदी ने श्रीलंका पहुंचकर पुरजोर ढंग से तमिल मछुआरों की समस्याओं को भी उठाया और तमिल बस्ति मेें जाकर उनके हालचाल भी जाने जो एक सराहनीय कदम माना उजा सकता है हम यदि विश्वपटल पर मोदी की हिंद महासागर यात्रा को समझने का प्रयास करें तो यह एक बड़ा कूटनितिक कदम माना जा सकता है क्योंकि विगत कुछदिनों से जिस तरह से चीन की विस्तान वादी नीति चल रही है उसमें कहीं न कहीं इस यात्रा से प्रभाव तो पड़ेगा ही। श्चह्म्ड्डस्रद्गद्गश्च.ह्वठ्ठष्ञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व
