इन दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से चरमराई है। यहां के प्रबंधन के कारण मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, यही नहीं डाॅक्टरों का तालमेल इतना अच्छा है कि कहने को यहां तीन डाॅक्टर पदस्थ है, लेकिन एक सप्ताह में एक डाॅक्टर ही अपनी सेवाएं देते है और दो डाक्टर छुट्टी मनाते हैं, और जिसके बाद दूसरे का नंबर आता है तो दूसरा छुटटी मनाता है।
इस बात की जानकारी बीएमओ सहित वरिष्ठ अफसरों को भी है, बावजूद इसके व्यवस्थाओं में सुधार नहीं हो पा रहा है,परिणाम स्वरुप नागरिकों को उपचार के लिए यहां वहां भटकना पड़ रहा है। यही नहीं यहां पर दवाएं और एंबुलेंस का भी अभाव बना हुआ है, जिसके चलते मरीजों को उपचार के लिए झोलाछाप डाक्टर और बरेली सिविल अस्पताल जाना पड़ रहा है। वैसे डाक्टर एक दूसरे के हर काम में अड़ंगा अड़ाते हैं, लेकिन डयूटी करने में तीनों की जुगलबंदी इतनी अच्छी कि एक सप्ताह में एक डाॅक्टर ही सेवा देता है।
मुझे भी है जानकारी
“सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डाॅक्टर एक सप्ताह सेवा दे रहा है, शेष दो छुट्टी मनाते हैं, इस बात की जानकारी मुझे भी पहले से है। हम व्यवस्था बनाने के लिए तत्काल आदेश जारी कर रहे हैं। तीनों डाॅक्टर जल्द ही ओपीडी में बैठकर मरीजों को उपचार करेंगे। “
-डॉ. हैमंत यादव, बीएमओ।
84 गांव की आबादी इसी अस्पताल पर है निर्भर
इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 84 गांव के ग्रामीणों की स्वास्थ्य व्यवस्था निर्भर है, लेकिन यहां के हालत यह है कि एक्सरा मशीन अब तक चालू नहीं हुई, रेफर करने एंबुलेंस तक नहीं है। यही नहीं प्राथमिक उपचार भी बमुश्किल मिल पाता है। एनएच हाइवे 12 पर होने वाली घटनाओं में घायलों को तत्काल रेफर कर दिया जाता है, जिसके चलते वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है, यदि यहीं पर उपचार मिलने लगे तो बहुत हद तक लोगों की जान बचाई जा सकती है।