Tuesday, October 21

सिटी कोतवाली- रोज 4 से 5 अपराध होते हैं कायम, लेकिन जांच समय पर नहीं होती

सिटी कोतवाली में प्रतिदिन चार से पांच अपराध दर्ज होते हैं। इसके अतिरिक्त शिकायतें आती हैं। एक्सीडेंट और मर्ग के अलग मामले आते हैं लेकिन अपराधों की जांच समय रहते नहीं हो पाती। इसके चलते कई मामलों की जांच भी पेंडिंग रहती है।

समय पर कार्रवाई नहीं होने से लोगों में असंतोष के हालात बन रहे हैं दूसरी और अपराधों व अपराधियों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। दरअसल सिटी कोतवाली में हालत यह है कि विवेचना करने वाले अधिकारी ही पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।

कोतवाली के लिए जितना बल स्वीकृत किया गया है। वर्तमान में उससे आधा मौजूद है इस कारण अपराध और अपराधियों पर लगाम नहीं लग पा रही। रात्रि गश्त के दौरान भी दिक्कत आ रही है। नगर में दो थाने संचालित हैं।

एक शहरी और दूसरा ग्रामीण लेकिन दोनों थानों में स्वीकृत मान के हिसाब से बल उपलब्ध नहीं है लेकिन सबसे ज्यादा हालत सिटी थाने की खराब है। वर्तमान में आधा बल उपलब्ध है। ग्रामीण क्षेत्र में इतनी पद खाली नहीं है जितने की सिटी कोतवाली में हैं।

अपराध पंजीबद्ध होने पर त्वरित कार्रवाई नहीं होने से जन आक्रोश की स्थिति बनती है क्योंकि शहर में प्रतिदिन कम से कम 4 से 5 अपराध दर्ज होते हैं। जिस हिसाब से अपराध दर्ज होते हैं उनकी जांच के लिए कर्मचारी भी चाहिए, लेकिन कर्मचारी नहीं होने से जांच लंबित रहती है। फरियादी यह मानता है कि उसके द्वारा दर्ज कराए गए मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इससे असंतोष के चलते शिकायतें भी होने लगती हैं।

सबसे ज्यादा धरना प्रदर्शन
सबसे ज्यादा धरना प्रदर्शन तहसील कार्यालय के आसपास ही होते हैं। इसके अतिरिक्त वीआईपी आदि भी विश्राम गृह में आते हैं। यह पूरा क्षेत्र सिटी कोतवाली के अंतर्गत ही रहता है इस कारण कोतवाली का मूल कार्य प्रभावित होता है।

इस कारण रात्रि गश्त भी सही तरीके से नहीं हो पाती। हालत यह है कि मामला तो दर्ज हो जाता है लेकिन विवेचकों की कमी के चलते जांच लंबे समय तक पेंडिंग रहती है। यही कारण है कि लोग असंतुष्ट होकर वरिष्ठ अधिकारियों या सीएम हेल्प लाइन का सहारा लेते हैं। शिकायतें करते हैं। विवाद की स्थिति बनती है।

लंबे समय से चल रही है मांग
पूर्व नागरिक बैंक अध्यक्ष कैलाश सक्सेना, पूर्व पार्षद रवि तिवारी, सत्य प्रकाश सेन का कहना है कि नगर के थानों में पुलिस बल की कमी का मुद्दा समय-समय पर पब्लिक मंच के माध्यम से एसपी के सामने उठाते आ रहे हैं लेकिन इसके बाद भी हालात में ज्यादा सुधार नहीं हो पाया।

नगर में अपराध अपराधियों और संवेदनशील हालातों को देखते हुए थानों में स्वीकृत पदों के हिसाब से बल का उपलब्ध होना आवश्यक है। इससे समय रहते मामलों की जांच हो सके। अपराधियों पर लगाम लग सके और सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त हो सके।

सबसे ज्यादा मामले सिटी में
वैसे तो दोनों थानों में प्रतिदिन 9 से 10 शिकायतें व मामले दर्ज होने आते हैं लेकिन इनमें से अधिकांश मामले सिटी कोतवाली के अंतर्गत दर्ज किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त रेल से कटने वाले के अतिरिक्त धरना प्रदर्शन आदि भी इसी क्षेत्र के अंतर्गत होते हैं लेकिन वर्तमान में सिटी कोतवाली के तहत यह हालात है एसआई के 12 पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में 6 पद भरे हैं।

इसी प्रकार एएसआई के 10 पद हैं लेकिन वर्तमान में 4 पद पर ही कर्मचारी मौजूद हैं। हेड कांस्टेबल के 15 पदों में से सिर्फ 8 भरे हैं। इनमें से 2 हेड कांस्टेबल कोर्ट में ही तैनात रहते हैं। इसी प्रकार आरक्षक 58 में से 28 मौजूद है। होमगार्ड भी 20 में से 8 उपलब्ध हैं। कुल मिलाकर आधा स्टाफ है।

इसी प्रकार देहात थाने में एसआई के 4 पद हैं जबकि वहां 6 पदस्थ हैं। एएसआई के 7 पद हैं लेकिन एक पद खाली है। हेड कांस्टेबल के 13 में से 6 पद खाली हैं। आरक्षक पद 38 लेकिन वर्तमान में 25 उपलब्ध हैं। 13 पद खाली हैं। इसी प्रकार होमगार्ड के 10 में से 3 पद खाली पड़े हैं। कुल मिलाकर सिटी के मुकाबले देहात थाने में कर्मचारियों की इतनी कमी नहीं है जितनी वर्तमान में सिटी कोतवाली में है।

वरिष्ठ अधिकारियों को प्रकरणों की भेजी जाती है जानकारी
जल्द ही सभी थानों में बल की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। जहां ज्यादा आवश्यकता है वहां वर्तमान हालातों के हिसाब से पूर्ति का प्रयास किया जाएगा। इसकी जानकारी समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारियों को भी भेजी जाती है। -समीर यादव, एएसपी विदिशा।