जबलपुर. व्यापमं घोटाले की जांच की निगरानी कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) की स्थिति हाईकोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट कर दी। जब सरकार की ओर से बताया गया कि दिग्विजय सिंह द्वारा दिए गए एक पत्र की जांच के लिए खुद एसआईटी अध्यक्ष जस्टिस चंद्रेश भूषण दिल्ली जाने वाले हैं, तब चीफ जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस आलोक अराधे की युगलपीठ ने दो टूक कहा कि इस घोटाले में एसआईटी की भूमिका सिर्फ और सिर्फ वॉचडॉग की है, उससे ज्यादा कुछ नहीं।युगलपीठ ने एसआईटी के अध्यक्ष जस्टिस भूषण को नोटिस जारी कर पूछा है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने जांच के लिए दिल्ली जाने की सहमति दी? इस बारे में जवाब पेश करने उन्हें एक सप्ताह की मोहलत दी गई है।गौरतलब है कि व्यापमं घोटाले की हाईकोर्ट मॉनीटरिंग कर रहा है और एसटीएफ की जांच पर निगरानी के लिए एसआईटी का भी गठन किया गया है। विगत 23 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ के सामने एसटीएफ ने अब तक बनाए गए आरोपियों और जल्द बनने वाले अन्य आरोपियों के ब्यौरे वाला चार्ट पेश किया था।
महाधिवक्ता (एजी) ने कोर्ट को बताया कि दिग्विजय सिंह ने एसआईटी अध्यक्ष को 16 और 23 फरवरी को पत्र भेजे थे। इसके बाद 28 फरवरी को एक पत्र रेजीडेंट कमिश्नर को भेजकर कहा था कि एसआईटी अध्यक्ष दिल्ली आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसआईटी अध्यक्ष को यदि कोई पत्र मिला था तो उन्हें वह एसटीएफ को देना था। साथ ही पत्र की जांच के लिए खुद दिल्ली जाने की बजाय हाईकोर्ट से मार्गदर्शन लेना था