भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में उद्योग लगाने के लिए जरूरी प्रक्रिया को और सरल किया जाएगा, ताकि उद्योग और व्यापार को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने सरकारी अफसरों से कामकाज का तरीका बदलने का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसा माहौल बनाएं ताकि आम आदमी भी उद्योग लगा सके। वे बुधवार को प्रशासन अकादमी में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस विषय पर आयोजित वर्कशाप को संबोधित कर रहे थे।
वर्कशाप में प्रदेश के कई मंत्री, सरकारी अधिकारी और उद्योगपति भी उपस्थित थे। दिनभर में 150 मुद्दों पर चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्कशाप का उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प को पूरा करना है, जिसमें उन्होंने व्यवसाय के अनुकूल देशों की सूची में भारत को 50वें नंबर पर लाने की बात कही है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए मेक इन एमपी शुरू किया गया है। निवेशकों के लिए सिंगल डोर पॉलिसी लागू की गई है। मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने बताया कि प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए 150 मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा।
हाइराइज बिल्डिंग परमिशन होगी सरल
रियल स्टेट से संबंधित ले-आउट, कालोनी विकास की अनुमति, विकास अनुज्ञा एवं बिल्डिंग परमिशन दिए जाने के लिए सिंगल डोर प्रणाली को लागू किया जाएगा। नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग की कॉलोनाइजर लाइसेंस, कालोनी विकास अनुमति, भवन अनुज्ञा तथा फायर एनओसी को लोक सेवा गारंटी अधिनियम में शामिल किया जाएगा। अप्रैल 2015 से प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी सम्पत्ति, अनुमति तथा उपकर निर्धारण संबंधी सभी प्रमाण-पत्र एवं कार्यवाही ऑनलाइन की जाएगी।
रियल स्टेट से संबंधित ले-आउट, कालोनी विकास की अनुमति, विकास अनुज्ञा एवं बिल्डिंग परमिशन दिए जाने के लिए सिंगल डोर प्रणाली को लागू किया जाएगा। नगरीय विकास एवं पर्यावरण विभाग की कॉलोनाइजर लाइसेंस, कालोनी विकास अनुमति, भवन अनुज्ञा तथा फायर एनओसी को लोक सेवा गारंटी अधिनियम में शामिल किया जाएगा। अप्रैल 2015 से प्रदूषण नियंत्रण संबंधी सभी सम्पत्ति, अनुमति तथा उपकर निर्धारण संबंधी सभी प्रमाण-पत्र एवं कार्यवाही ऑनलाइन की जाएगी।
ऑनलाइन होगा उद्योग विभाग
वाणिज्य उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान तथा आयुक्त वीएल कांताराव ने वर्कशॉप में उद्योग विभाग की तैयारियों का प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया गया कि विभाग द्वारा ईएम पार्ट-एक (उद्योगपति की ओर से दिया गया ज्ञापन, जिसमें बताया जाता है कि वह इंडस्ट्री लगाना चाहता है) तथा ईएम पार्ट-दो (उद्योगपति बताता है कि उद्योग लगा दिया गया है) की अभिस्वीकृति ऑनलाइन जारी की जाएगी। इसी तरह बॉयलर मेंटेनेंस सेवा देने वाले को भी बॉयलर प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत किया जाएगा।
वाणिज्य उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मोहम्मद सुलेमान तथा आयुक्त वीएल कांताराव ने वर्कशॉप में उद्योग विभाग की तैयारियों का प्रेजेंटेशन दिया। इसमें बताया गया कि विभाग द्वारा ईएम पार्ट-एक (उद्योगपति की ओर से दिया गया ज्ञापन, जिसमें बताया जाता है कि वह इंडस्ट्री लगाना चाहता है) तथा ईएम पार्ट-दो (उद्योगपति बताता है कि उद्योग लगा दिया गया है) की अभिस्वीकृति ऑनलाइन जारी की जाएगी। इसी तरह बॉयलर मेंटेनेंस सेवा देने वाले को भी बॉयलर प्रमाणीकरण के लिए अधिकृत किया जाएगा।
शहर के 8 किमी की परिधि में निजी भूमि पर स्थापित उद्योगों को विभाग द्वारा घोषित वित्तीय सुविधाएं जी जाएंगी। जमीन आवंटन के आवेदन एवं जमीन आवंटन फेसिलिटेशन की कार्यवाही सिंगल विंडो प्रणाली ट्राइफेक द्वारा की जाएगी। भूमि पर निर्माण की मंजूरी भी ऑनलाइन जारी की जाएगी।
एक कनेक्शन के लिए 83 चक्कर लगाए, फिर भी नहीं मिला
वेयरहाउस के लिए 25 हॉर्स पॉवर का कनेक्शन लेना था। छह सितंबर को आवेदन किया। बिजली दफ्तर ने एस्टीमेट देने में 53 दिन लगाए। वर्क ऑर्डर 66 दिन बाद जारी हुए। दफ्तर के 83 चक्कर लगाने पड़े। इसमें 1900 किमी गाड़ी दौड़ी। कुल 4.83 लाख रुपए खर्च हो गए, लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं मिला। यह तथ्य उस तीन पेज की पीएचडी के हैं, जिसे एक उद्योगपति आरएस गोस्वामी ने बिजली महकमे की कार्यप्रणाली से तंग आकर तैयार की है।
इसी पीएचडी को उद्योगपति ने बुधवार को बुलाई गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस वर्कशॉप में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी। चौहान ने इसी वर्कशॉप में रिसर्च को खुद पढ़कर विभाग की खामियां सबके सामने गिना दी। उन्होंने कहा कि ये क्या चल रहा है। एक कनेक्शन के लिए इतने चक्कर? ऐसा तो कई विभागों में चल रहा होगा। इसी को हमें सुधारना है।
गोस्वामी पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के पदाधिकारी भी हैं। गोस्वामी के रिसर्च सौंपने से पहले मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के एमडी विवेक पोरवाल ने वर्कशॉप में प्रेजेंटेशन दिया। इसमें दावा किया कि तीन दिन में कनेक्शन दिया जा रहा