Tuesday, September 23

गंजबासौदा- नौलखी मंदिर में बरसाना की लठमार होली का प्रदर्शन

bpl-r2231665-largeगंजबासौदा। भगवानकी लीला लोक शिक्षा एवं संसार को कुछ देने के लिए हैं। जीवन में दो बाते आवश्यक है। एक जीवन गंगा की तरह पवित्र गतिशील हो क्योंकि बहाव में स्वाभाविक निर्मलता होती है दूसरा ताप- संताप हो। ऐसा होने पर जीवन में मधुरता आती है। नौलखी मंदिर में चल रहे होली उत्सव भागवत कथा के सातवें दिन पंडित केशव गुरु ने यह बात कही।

उन्होंने कहा कि अहंकार रहित होने में पूर्वाग्रह से युक्त व्यक्ति सत्य को स्वीकार नही करता। गौ शब्द का अर्थ इंद्रिया भी है। गाय भी है एवं उपनिषद भी है। अत: गोवर्धन पूजा के माने संयम, सदाचार पर्यावरण शुद्धि एवं ब्राह्मण यज्ञ भी है। ब्राह्मण आज के परिवेश में शिक्षक है। शिक्षकों का समाज सम्मान करें।

पं. केशव गुरु ने कहा कि जीवात्मा- परमात्मा की मिलन की कथा है। सरिता सागर में मिल जाए, बिंदू सिंधु में मिल जाए तो दूरी समाप्त हो जाती है। ज्ञान भक्ति वैराग्य में कोई छोटा बड़ा नही है। मन के मैले वस्त्र धोने के लिए ज्ञान साबुन है। भक्ति जल है, वैराग्य रूपी पत्थर पर मन को फटकारो तो मैल धुल जाएगा। कथा में रूक्मिणी विवाह एवं सुन्दर झांकी भी प्रस्तुत की गई। बरसाना की लठमार होली के प्रदर्शन का सभी ने आनंद उठाया। मंदिर के महन्त नरहरिदासजी ने भी होली का महत्व समझाया।