
कॉलोनाइजरों को सिर्फ नोटिस, कोई कठोर कार्रवाई न होने से बड़े हौसले
2010 से 2020 तक नगरपालिका के 4 सीएमओ और 13 एसडीएम के करीब 10 साल के कार्यकाल में शहर में 76 से ज्यादा अवैध कालोनियां बन चुकी हैं। नगर में वैध से ज्यादा अवैध कालोनियों की भरमार हो गई है। नगरीय निकाय क्षेत्र में इस समय वैध कालोनियों की संख्या 54 है जबकि अवैध कालोनियां की तादाद 76 से ऊपर पहुंच चुकी है।
अवैध कालोनियों के विस्तार में प्रशासन का कोई नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है। अवैध कालोनाइजरों को नोटिस देने के अलावा प्रशासन ने अब तक कोई कठोर कार्रवाई नहीं की है। जबकि इन अधिकारियों की सीधी जिम्मेदारी होती है कि वे अवैध कालोनाइजरों पर सीधी शिकंजा कसें लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसके अलावा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने भी धरातल पर मास्टर प्लान नहीं बनाया है।
प्लान में इवेंस्टमेंट एरिया यानी निवेश क्षेत्र का विस्तार भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं किया गया है। इसी कारण अवैध कॉलोनाइजर एग्रीकल्चर और ग्रीन बेल्ट के लिए रिजर्व इलाकों पर भी धड़ाधड़ अवैध कालोनियां काट रहे हैं। इन अवैध कालोनियों में लोग अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर बर्बाद हो रहे हैं।
नगरपालिका प्रशासन ने 31 दिसंबर 2016 तक स्थापित जिन अवैध कालोनियों को सबसे पहले वैध करने के लिए चिन्हित किया था, उनमें सांवलिया सेठ तमोरिया, सांवलिया सेठ टीलाखेड़ी, न्यू अरिहंत विहार कालोनी, पूरन पुरा कालोनी गली नंबर 5, सांवलिया सेठ सोठिया रोड, राधाकृष्णपुरा कालोनी सोंठिया रोड, श्री वृंदावन धाम तमोरिया, बाघ राजन और हर्ष वेयर कालोनी, धरमपुरी कालोनी जतरापुरा, रामनगर कालोनी जतरापुरा, मथुरा धाम कालोनी वैशनगर, गोकुलधाम कालोनी आदि शामिल हैं।
एग्रीकल्चर और ग्रीन बेल्ट के लिए रिजर्व इलाकों पर कॉलोनाइजरों की नजर, अफसर आंखें मूंद कर दफ्तरों में बैठे
10 साल में ये रहे विदिशा के 13 एसडीएम, जिन्होंने शिकंजा कभी कसा ही नहीं
19 अगस्त 2009 से 2 सितंबर 2010 तक पंकज शर्मा, 3 सितंबर 2010 से 10 जनवरी 2012 तक विनोद चतुर्वेदी, 10 जनवरी 2012 से 31 मार्च 2012 तक पीएल पहाड़ेकर, 1 अप्रैल 2012 से 9 अप्रैल 2012 तक ओपी श्रीवास्तव, 10 अप्रैल 2012 से 19 अगस्त 2013 तक अविनाश तिवारी, 19 अगस्त 2013 से 16 मार्च 2015 तक एके सिंह, 16 मार्च 2015 से 26 अगस्त 2017 तक आरपी अहिरवार, 26 अगस्त 2017 से 18 जुलाई 2018 तक आरएस राय, जुलाई 2018 से 14 मार्च 2019 तक सीपी गोहल, 14 मार्च 2019 से 30 मई 2019 तक प्रवीण प्रजापति, 30 मई 2019 से 19 अगस्त 2019 तक लोकेंद्रसिंह सरल, 19 अगस्त 2019 से 19 फरवरी 2020 तक प्रवीण प्रजापति, 20 फरवरी 2020 से 14 मई 2020 तक संजय जैन विदिशा के एसडीएम रहे। शिकंजा कसने की जिम्मेदारी इनकी थी लेकिन शहर में इस समय 76 अवैध कालोनियां बन चुकी हैं।
इन 4 सीएमओ ने कभी नहीं की मॉनीटरिंग
विदिशा के नगरपालिका क्षेत्र में 2010 से लेकर 2020 तक जो 76 अवैध कालोनियां बनी हैं, उनकी मानीटरिंग करने की जिम्मेदारी नपा सीएमओ की रहत है लेकिन इन 10 सालों में 4 सीएमओ रहे हैं। यदि अवैध कालोनी बनते समय ही कठोर कार्रवाई और मानीटरिंग की जाती तो अवैध कालोनियों को पनपने का मौका नहीं मिलता। विदिशा नगरपालिका में साल 2010 से 2013 तक आरके कार्तिकेय, 2013 से 2014 तक आरपी मिश्रा, साल 2014 से 2018 के सत्येंद्र धाकड़े और 2018 से 2021 तक सुधीरसिंह विदिशा के सीएमओ रहे हैं।
काॅलोनी को नियमित करने का ये हैं नियम
- 150 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से शुल्क लेकर कराए जा सकते हैं विकास कार्य।
- 10 फीसदी भवन निर्माण होना जरूरी है कालोनी के रहवासियों से पानी, बिजली, सीवेज के लिए वैध कालोनियों की तरह सेवा प्रभार लेना जरूरी।
- जिन कालोनियों में निम्न आर्य वर्ग के 70 फीसदी से अधिक लोग निवास करते हैं, वहां विकास शुल्क की 20 प्रतिशत राशि कालोनी के रहवासियों से लेने का नियम।
150 रुपए वर्ग मीटर देना होता है विकास शुल्क
शहर की अवैध कालोनियों में रहने वाले हजारों लोगों को अब जल्द ही सड़क, पानी, बिजली, ड्रेनेज और सीवेज जैसी जरूरी सुविधाओं से महरूम रहते हैं। ऐसी कालोनियों में कालोनाइजरों अथवा रहवासियों से 150 रुपए वर्गमीटर के हिसाब से विकास शुल्क जमा करवाकर विकास कार्य करवाने का है नियम। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मई 2017 में अवैध कालोनियों को वैध करने के आदेश दिए थे।
नपा का सर्वे… दिसंबर 2012 तक 52 और दिसंबर 2016 तक शहर में 24 अवैध कॉलोनियां विकसित की गई
नगरपालिका प्रशासन की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2012 तक 52 और दिसंबर 2016 तक शहर में 24 अवैध कालोनियां विकसित हुई थीं। यह सर्वे नगरपालिका ने राज्य शासन से मिले आदेशों के बाद किया था। शहर में वैध कालोनियों से अवैध कालोनियों की संख्या ज्यादा है।
शहर में इस समय वैध कालोनियां की संख्या जहां 54 है वहीं अवैध कालोनियों की तादाद 76 तक पहुंच गई है। कई अवैध कालोनियों में अभी तक हजारों लोगों को सड़क, पानी, बिजली, सीवेज, ड्रेनेज जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
नपा के पास नहीं है अवैध कॉलोनी रोकने का अधिकार
- नपा के पास अवैध कालोनियों को रोकने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में एसडीएम और जिला प्रशासन को ही सक्षम अधिकारी बनाया गया है। – सुधीर सिंह, सीएमओ नगरपालिका विदिशा
इस प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर पनपती है अवैध काॅलोनी, जीवन भर की पूंजी लगाने वाले होते हैं परेशान
यदि कोई कॉलोनाइजर किसी भूमि पर कालोनी बनाने का प्रस्ताव तैयार करता है तो उसे नियमानुसार सबसे पहले टीएंडसीपी से उस जमीन का नक्शा अनुमोदित करवाना पड़ता है। इसके बाद एसडीएम कार्यालय में डायवर्सन शुल्क जमा करना पड़ता है। इसके बाद सक्षम अधिकारी यानी कलेक्टर नक्शे को पास करता है। इसके बाद नगरपालिका उस कालोनी की प्रस्तावित लागत निकालकर कॉलोनाइजर से उप कर, कर्मकार शुल्क और अतिरिक्त आश्रय शुल्क जमा करवाती है। यदि कोई कॉलोनाइजर इस प्रक्रिया का पालन नहीं करता है तो वह कालोनी अवैध होती है।