
पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जुलाई 2017 में इजरायल के दौरे पर गए थे। पेगासस जासूसी भी 2017 और 2018 में शुरू हुई। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में मोबाइल फोन कंपनियों के जरिए लाखों लोगों की निगरानी की गई है। कमलनाथ ने इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जस्टिस से कराने की मांग की और कहा कि सरकार विपक्षी नेताओं को विश्वास में ले। उन्होंने कहा कि जांच करने वाला जस्टिस भी वैसा होना चाहिए, जिसकी पहले से जासूसी न की गई हो।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पेगासस मामले का खुलासा कांग्रेस ने नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने गैरकानूनी ढंग से जासूसी कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार को गिराने का काम किया। मध्य प्रदेश में भी सरकार गिराने के लिए जासूसी किए जाने से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में विधायकों को खरीदने का काम मोदी सरकार कर रही है। इस कांड से हमारे अधिकारों पर सबसे बड़ा हमला हुआ है। उन्होंने कहा कि यह पिछले कुछ दिनों में सामने आया है और अगले 15 दिनों में यह मामला और गरमाएगा।
भारत में क्यं नहीं हो रही है जांच
कमलनाथ ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए फ्रांस ने जांच शुरू कर दी है। अन्य देश भी जल्द ही जांच शुरू करने जा रहे हैं तो भारत में इसकी जांच क्यों नहीं हो रही? उन्होंने कहा कि फैन्टम जैसे दूसरे स्पाई सॉफ्टवेयर भी इसी तरह के हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या आपने अन्य सॉफ्टवेयर भी खरीदे हैं? कमलनाथ ने कहा कि CERT ने 2019 में एक संवेदनशील नोट दिया था।
कांग्रेस नेता ने कहा कि केंद्र सरकार बताए कि यह साफ्टवेयर जासूसी प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए खरीदा या देश की सुरक्षा के लिए? अगर सरकार एफिडेविट देती है कि उन्होंने खरीदा नहीं है तो भी किसी न किसी ने इसे खरीदा ही होगा। हो सकता है कि चीन ने इसे खरीदा हो और जासूसी कराई हो लेकिन सबसे पहले सरकार को कोर्ट में एफिडेविट देना होगा।