
13 साल पहले 1 लाख 92 हजार की राशि की थी खर्च
मैंने लाल पठार पर ग्राम पंचायत महागौर की सीमा में 13 साल पहले पीएचई के लिए 1 लाख 92 हजार की लागत से कुएं का निर्माण किया था। इसकी 2 साल की गारंटी थी। कुएं से स्वरूप नगर की बस्ती में जल सप्लाई के लिए 1 लाख 36 हजार की लागत से पाइप लाइन बिछाई गई थी जबकि महागौर बस्ती के लिए 85 हजार रुपए की लागत से अलग पाइप लाइन जल सप्लाई के लिए बिछाई थी। यह बात कुएं की खुदाई करने वाले ठेकेदार छोटेलाल रघुवंशी ने कही। ठेकेदार ने बताया कि उसने कुएं का निर्माण पेयजल योजना के लिए पीएचई विभाग के अधिकारियों की देखरेख में उन्हीं की डिजाइन के आधार पर किया था। निर्माण के लिए 30 फीट खुदाई की गई थी। नीचे पत्थर आने पर ब्लास्टिंग से पत्थर थोड़ा था।
रिटायर्ड पीएचई एसडीओ गौरीशंकर मेहता ने बताया यदि 20 फीट चौड़े कुएं के फर्श पर एक साथ 50-60 लोग चढ़ जाएं और लोहे के गार्डर 2 इंच भी झुक गए तो मुंडेर गिरने की आशंका रहती है। उस दौरान कई कुएं विभाग द्वारा बनवाए थे। उनको देखकर मजबूती का पता लगाया जा सकता है। उनको सार्वजनिक मंच से तत्कालीन एसडीएम द्वारा सम्मानित भी किया गया था।
सार्वजनिक मंच से रिटायर्ड पीएचई एसडीओ को तत्कालीन एसडीएम ने सम्मानित भी किया था
पीएचई और पंचायत की थी मेंटेनेंस की जिम्मेदारी
समय-समय पर निर्माण प्रगति के आधार पर बिल का भुगतान और मौका मुआयना विभाग के तत्कालीन उपयंत्री महेंद्रनाथ योगी और एसडीओ जीएस मेहता द्वारा किया गया था। चूंकि पेयजल योजना के लिए कुआं निर्माण कराया गया था। इस कारण कुएं में कचरा, जानवर या कोई ग्रामीण न जाए इसके लिए उस पर लोहे के गार्डर लगाकर फर्शी पर सीसी की गई थी। इतने सालों में गार्डर पानी के संपर्क में आने से कमजोर हो गए होंगे। उसकी देखरेख करने की जिम्मेदारी पीएचई या ग्राम पंचायत की थी। यदि समय- समय पर उसकी देखरेख होती तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। जिस ढक्कन को सुरक्षा के लिए लगाया गया था उस पर एक साथ 50 लोग खड़े हो गए। इस कारण कमजोर हो चुके गार्डर झुक कर गिर गए और 11 लोगों की जान चली गई। जांच में यदि उनको बुलाया जाता है तो अपना पक्ष रखेंगे।
यही ट्रैक्टर कुएं में गिरा था…. 15 जुलाई की रात कुएं में गिरा ट्रैक्टर हुकुम सिंह लोधी महागौर चक पंचायत का है। लोगों की जान बचाने के दौरान इसे निकालने में काफी दिक्कत हुई थी। अब ये खेत में खराब खड़ा है।
गार्डर और फर्शी लगाकर की गई थी सुरक्षा
रिटायर्ड पीएचई एसडीओ गौरीशंकर मेहता ने बताया कि 2008 में कुएं का निर्माण मेरे कार्यकाल में कराया गया था। कुएं का निर्माण बेहतर गुणवत्ता और विभागीय मापदंडों के तहत कराया गया था। 13 साल से यह कुआं ग्रामीणों को लगातार पानी उपलब्ध करा रहा था कुएं पर गार्डर लगाकर उस पर फर्शी डालकर फर्श किया गया था। उसमें सरिए डालकर फर्श नहीं किया गया था।
ब्लास्टिंग वाले क्षेत्रों में एक किमी तक फटती हैं परतें
टीलेनुमा इलाकों की मिट्टी में दरारें होती हैं। इनके माध्यम से ऊपर से नीचे की ओर पानी का रिसाव होता है। इस कारण भुरभुरी मिट्टी वाले क्षेत्रों में माश्चर यानी नमी की मात्रा ज्यादा होती है। जिन इलाकों में सेंड स्टोन निकालने के लिए जमीन के नीचे ब्लास्टिंग होती है, वहां जमीन के नीचे 500 से लेकर 1000 मीटर तक के इलाके में जमीन की परतें फट जाती हैं। ऊपर से जमीन समतल दिखाई देती है लेकिन ऊपर वजन पड़ते ही धंस जाती है।
-डाॅ.डीआर तिवारी, प्रोफेसर भूविज्ञान, एमवीएम कालेज भोपाल।
इधर… 4 दिन बाद भी न्यायिक जांच शुरू नहीं
घटना के 4 दिन बाद भी मौके पर न्यायिक जांच के लिए फिलहाल कोई अधिकारी अब तक नहीं पहुंचा है, लेकिन संकेत हैं कि एक-दो दिन में जांच शुरू हो सकती है। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट डा.पंकज जैन ने इस हादसे के बाद जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए एडिशनल कलेक्टर वृंदावन सिंह को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। जांच के लिए जो बिंदु तय किए गए हैं। उनमें एक बिंदु निर्माण से संबंधित है। इन बिंदुओं के साथ ही हुए हादसे पर इसकी भी जांच होना है।
जांच के लिए 15 दिन का दिया है समय, लेंगे बयान
न्यायिक जांच के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। अभी कई मृतकों के परिजन अस्थि विसर्जन के लिए बाहर गए हुए हैं। गमजदा परिवारों में स्थिति सामान्य होते ही जांच शुरू की जाएगी और संबंधित लोगों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे।
-डा.पंकज जैन, कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट विदिशा।