Wednesday, September 24

बंगाल चुनाव 2021:10 साल पहले जिस रास्ते चलकर ममता ने लेफ्ट के गढ़ पर कब्जा किया था, अब उसी राह पर चल रही BJP

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जंगलमहल में मिली थी बड़ी सफलता
  • ममता ने सड़क-पुल-पुलिया तो बनाए लेकिन नौजवानों को काम नहीं दे पाईं, भ्रष्टाचार भी बड़ा मुद्दा

सालों तक वामपंथ का अभेद किला रहे ‘जंगलमहल’ (पुरुलिया, बांकुड़ा, झाड़ग्राम, विष्णुपुर, बीरभूम, पश्चिम मेदिनीपुर) में 2011 से तृणमूल कांग्रेस का राज है। ममता बनर्जी ने जिस रास्ते पर चलकर जंगलमहल की सत्ता पाई थी, अब एकदम उसी रास्ते पर BJP भी चल रही है। तब ममता ने यहां विकास को मुद्दा बनाया था, क्योंकि वामपंथियों ने सालों तक जंगलमहल में राज किया लेकिन लोगों को सुविधाएं नहीं दीं। सड़कें, पुल-पुलिया नहीं बना पाए। रोजगार नहीं दे पाए। घरों तक पानी नहीं पहुंचा सके। स्वास्थ्य में कुछ नहीं किया। 2011 में यही ममता के मुद्दे थे, जिसकी बदौलत वे जंगलमहल की सत्ता तक पहुंचीं।

अब TMC को सरकार चलाते हुए दस साल हो चुके हैं और यही मुद्दे BJP उठा रही है। जंगलमहल में BJP ने साल 2014 से ही पकड़ बनाना शुरू कर दी थी। 2014 के लोकसभा में BJP का वोट शेयर यहां 20 फीसदी बढ़ा। 2018 के पंचायत चुनाव में वोट शेयर 27% बढ़ा और 2019 के लोकसभा चुनाव में पुरुलिया, बांकुरा, विष्णुपुर, मेदिनीपुर और झाड़ग्राम सीट BJP ने जीत ली।

ममता सरकार ने यहां कई काम किए, जैसे- सड़कें, पुल-पुलिया बनाए। बिजली की व्यवस्था ठीक की। कुछ गांव में पानी के लिए नल कनेक्शन दिए हैं, लेकिन रोजगार और भ्रष्टाचार इन मुद्दों में सरकार कुछ खास नहीं कर सकी। ढेरों गांव ऐसे हैं, जहां आज भी पीने का पानी लेने के लिए महिलाओं को बहुत दूर जाना पड़ता है। हालांकि सरकार फ्री में जो सुविधाएं दे रही है, उससे ग्रामीण संतुष्ट नजर आ रहे हैं।

कमीशन, बेरोजगारी को BJP ने बनाया मुद्दा

BJP जंगलमहल में इन्हीं दो मुद्दों को सबसे ज्यादा उठा रही है, क्योंकि यहां बिना कमीशन दिए कोई काम नहीं हो पाता। 2019 में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद ममता को यह भनक लग गई थी, इसलिए वे खुद ही लोगों के पास पहुंचीं। द्वारे सरकार प्रोग्राम के तहत इन इलाकों में पंचायत पर कैंप लगाए गए और लोगों की समस्याएं हल की गईं। जमीन के विवाद खत्म किए, जाति प्रमाण पत्र बनाए, राशन कार्ड बनाए।

लॉकडाउन के पहले से ही ममता सरकार यहां फ्री राशन बांट रही है। स्वास्थ्य साथी स्कीम के तहत सभी लोगों का 5 लाख रुपए का बीमा भी कर दिया गया है, लेकिन नौजवानों के पास कमाने का कोई जरिया नहीं है। करप्शन अब भी जड़ जमाए हुए है। लोग फ्री में पेट तो भर पा रहे हैं, लेकिन सरकार की कोई ऐसी स्कीम नहीं है, जिसके जरिए वे सक्षम बन पाएं। यही मुद्दे अब ममता के लिए चुनौती बन गए हैं। BJP दावा कर रही है कि वे सरकार में आती है तो यह समस्याएं खत्म कर देगी।

2018 में हिंसा हुई थी, BJP को लोकसभा में मिला फायदा

पुरुलिया से BJP सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो कहते हैं, ‘जंगलमहल में पिछले दस साल में कोई डेवलपमेंट नहीं हुआ। CPM की बिरादरी को ही ममता ने आगे बढ़ाया। पानी और बेरोजगारी की समस्या यहां सबसे बड़ी है। दूर-दूर तक पीने का पानी लेने जाना पड़ता है। मैंने दो बार केंद्रीय जलशक्ति मंत्री को पत्र लिखा। उन्होंने राज्य सरकार को चिट्ठी भी तुरंत लिखी, लेकिन उसका ममता सरकार ने कोई जवाब ही नहीं दिया।’ BJP ने यहां ऐसा क्या किया कि जनता आपको वोट दे? यह पूछने पर वो बोले कि हमने 370 का वादा पूरा किया। तीन तलाक खत्म किया। अब लोकल डेवलपमेंट का काम तो राज्य सरकार का है, हम हर कदम पर साथ खड़े हैं लेकिन काम करना तो उन्हें ही है।

बंगाल के सीनियर जर्नलिस्ट श्यामलेंदु मित्रा कहते हैं, 2018 के पंचायत चुनाव में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। लोगों को वोट डालने नहीं दिए गए। कई कैंडीडेट्स के नॉमिनेशन कैंसल कर दिए। आम जनता में इसका गुस्सा था, इसी कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को यहां बड़ी जीत मिली। पुरुलिया के एक कस्बे में रहने वाले सुनील माहतोराम कहते हैं, लोकसभा और विधानसभा का चुनाव अलग-अलग है। तब हमने मोदी को वोट दिया था लेकिन बंगाल में ममता को वोट देंगे, क्योंकि यहां वो अच्छा काम कर रही हैं और केंद्र में मोदी अच्छा काम कर रहे हैं।

आरसा गांव के मोहम्मद कुतुम अली कहते हैं, हमारे गांव में सरकार ने कन्याश्री, रूपाश्री, सुबोध साथी, वृद्धा पेंशन जैसी योजनाएं दीं। फ्री राशन और सायकल भी मिल रहा है। इसलिए विधानसभा में ममता को ही जिताना चाहते हैं। वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं, TMC के पास कुछ वोट तो वापस आ सकते हैं, लेकिन बहुत ज्यादा अंतर नहीं आएगा, क्योंकि सरकार के प्रति एंटी इंकम्बेंसी नजर आ रही है। लोकसभा और विधानसभा के नतीजों में 7 परसेंट तक का अंतर तो सामान्य बात है।

जंगलमहल में विधानसभा की 44 सीटें आती हैं। इनमें बांकुरा जिले में 12, पुरुलिया में 9, पश्चिम मेदिनीपुर में 19 और झाड़ग्राम में 4 सीटें हैं। यह ट्रायबल बेल्ट है। संथाल और कुर्मी समाज यहां बहुतायत में है। इसी के चलते गृहमंत्री अमित शाह से लेकर CM ममता बनर्जी तक कम्युनिटी लीडर्स से मिल रहे हैं। उनके घर खाना खा रहे हैं। ताकि पूरे समाज के वोट लिए जा सकें। पूर्व माओवादी नेता छत्रधर महतो TMC में शामिल हो चुके हैं। ममता इनके सहारे भी जंगलमहल में अपने वोट वापस पाने की आस में हैं। BJP ने ओबीसी समुदाय से आने वाले दिलीप घोष को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2015 से ही इस इलाके पर अपना प्रभाव जमाना शुरू कर दिया था।