Wednesday, September 24

तमिलनाडु में मुफ्त वादों की राजनीति:गोल्ड लोन माफी से लेकर मुफ्त गैस सिलेंडर देने जैसे वादों की होड़, एक-दूसरे पर मुद्दे चुराने का आरोप लगा रही हैं DMK-AIADMK

तमिलनाडु में त्रिचनापल्ली का मैदान। DMK नेता एमके स्टालिन की पहली चुनावी रैली में वादों की बरसात हो रही है। उधर, चेन्नई स्थित AIADMK के वॉर रूम में अपने विपक्षी स्टालिन की रैली लाइव देखी जा रही है। स्टालिन की चुनावी घोषणाओं के साथ ही यहां चुनावी गिफ्ट आइडिया होने का शोर मच जाता है। कुछ दिनों पहले चुनावों की घोषणा से पहले ऐसा ही शोर DMK के खेमे में मचा था। तब सत्ताधारी AIADMK ने अंतरिम बजट में 48 ग्राम तक के गोल्ड लोन के साथ किसान कर्ज माफी की घोषणा की थी। तब DMK अध्यक्ष स्टालिन ने आरोप लगाया था कि अन्नाद्रमुक सरकार उनकी पार्टी का एजेंडा कॉपी कर रही है।

DMK-AIADMK के नेता हर रैली में एक-दूसरे पर अपने घोषणापत्र को कॉपी करने का आरोप लगा रहे हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच इन चुनावी गिफ्ट आइडिया को लेकर जुबानी जंग चल रही है, लेकिन चुनावी गिफ्ट योजनाओं के ऐलान को लेकर नेताओं से इतर एक जंग DMK के रणनीतिकार प्रशांत किशोर और AIADMK के रणनीतिकार सुनील कानुगोलू के बीच भी चल रही है।

सुनील और प्रशांत किशोर की जोड़ी ने ही 2014 में अच्छे दिन वाली ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का रोड मैप तैयार किया था। हालांकि चर्चा प्रशांत किशोर को ज्यादा मिली, लेकिन बाद में दोनों के रास्ते अलग हो गए। सुनील प्रशांत से अलग होकर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, गुजरात और कर्नाटक में भाजपा के प्रमुख रणनीतिकार बन गए। वहीं, प्रशांत कुमार की आई-पैक पहले नीतीश कुमार फिर ममता बनर्जी के लिए काम करने लगी।

तमिलनाडु में 2015 से 2019 तक सुनील DMK साथ स्टालिन की इमेज मेकओवर में जुटे रहे, लेकिन प्रशांत किशोर 2020 में DMK के नए सलाहकार बने तो सुनील AIADMK के साथ आ गए। सुनील कानुगोलू जयललिता की तर्ज पर मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी (ईपीएस)​​​​​ की कुशल प्रशासक और गरीब हितैषी छवि गढ़ने में व्यस्त हो गए। लिहाजा अब राज्य की सियासी लड़ाई में DMK-AIADMK के साथ-साथ प्रशांत किशोर और सुनील कानुगोलू दोनों हैं।

घोषणा-दर-घोषणा

प्रशांत किशोर को पहला झटका चुनाव घोषणा के चंद घंटे पहले लगा। AIADMK ने अंतरिम बजट में गोल्ड लोन और कृषि ऋण माफी का प्रावधान कर चुनावी घोषणाओं के लिहाज से बढ़त ले ली। जबकि DMK ने गोल्ड लोन माफी को बीते लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाया था और उसे इसका लाभ भी मिला था।

गोल्ड लोन माफी का मुद्दा हाथ से निकल जाने के बाद स्टालिन ने पहली चुनावी सभा में हर गृहिणी को 1000 रुपए महीना देने की घोषणा की, लेकिन मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने इसको अपने घोषणापत्र की नकल बताते हुए कहा कि इस पर हमारे यहां 10 दिन से काम चल रहा था। उन्होंने इसके जवाब के तौर पर हर राशन कार्ड धारक गृहिणी को डेढ़ हजार रुपए के साथ-साथ साल में छह गैस सिलेंडर मुफ्त देने का ऐलान कर डाला।

इसके बाद DMK ने अपने घोषणापत्र में पेट्रोल और डीजल की कीमत 5 और 4 रुपए घटाने का वादा कर दिया। अन्नाद्रमुक के 6 मुफ्त सिलेंडर के वादे के मुकाबले में कहा गया कि हर सिलेंडर पर 100 रुपए की सब्सिडी राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। सत्ता के मुख्य दावेदार DMK-AIADMK के इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच कमल हासन भी कूद पड़े। उन्होंने DMK पर अपनी पार्टी का एजेंडा कॉपी करने का आरोप लगाया।

पार्टियों में असंतोष और विवाद भी

AIADMK और DMK की इन लगातार घोषणाओं के साथ दोनों पार्टियों में कुछ असंतोष भी है। दोनों पार्टियों के पुराने नेता और कैडर को लगता है कि बगैर उनकी राय के सिर्फ रणनीतिकारों के कहने पर चुनावी वादे और मुद्दे बनाए जा रहे हैं। अन्नाद्रमुक के रणनीतिकार सुनील कानुगोलू से भास्कर ने जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी के आधिकारिक प्रवक्ता नहीं हैं, यह पार्टी के प्रवक्ता ही बताएंगे, लेकिन DMK में प्रशांत किशोर को लेकर असंतोष ज्यादा दिखता है।

हाल ही में मछली पालन मंत्री जयकुमार ने तंज कसते हुए कहा था, ‘DMK के असली अध्यक्ष स्टालिन नहीं, प्रशांत किशोर हैं।’ इस पर हमने चेन्नई से सांसद और DMK नेता डॉक्टर कलानिधि वीरास्वामी से सवाल पूछा तो उनका कहना था, ‘अगर ऐसा है तो AIADMK और भाजपा अध्यक्ष भी कोई और है।’ हालांकि उन्होंने माना कि प्रशांत किशोर को लेकर DMK में थोड़ा असंतोष है। उनका यह भी कहना था कि प्रशांत किशोर की भूमिका सिर्फ हमारे पार्टी कैडर के पास पहले से मौजूद आंकड़ों के वैज्ञानिक विश्लेषण तक सीमित है, निर्णय पार्टी नेता ही लेते हैं।

साठ के दशक से ही तमिलनाडु में गिफ्ट कल्चर

तमिलनाडु की राजनीति में गिफ्ट कल्चर 60 के दशक से ही रहा है। कांग्रेसी मुख्यमंत्री कामराज ने 1960 में मुफ्त शिक्षा और मिड डे मील दिया, तो अन्नादुरई ने 1967 में 1 रुपए में 4.5 किलो चावल दिया। एमजी रामचंद्रन ने 70 के दशक में मद्रास जल संकट के दौरान फ्री प्लास्टिक कैन गिफ्ट किए। 1996 के बाद अब यह सब चरम पर है। 2019 के लगभग दो लाख करोड़ के बजट में मुफ्त सहायता, सब्सिडी का खर्च ही 75 हजार करोड़ से ज्यादा था।