Sunday, October 19

जहरीली शराब कांड:जहां से ऑर्डर मिला वहीं पैकिंग मशीन और बारदाना लेकर पहुंच जाते थे गिर्राज-मुकेश, बनाने लगते थे नकली शराब

  • मुख्य आरोपी के घर को जमींदोज करने के बाद दूसरे आरोपियों की संपत्ति का ब्यौरा जुटा रहे अफसर
  • कच्ची शराब में लागत व समय अधिक, ओपी से चंद घंटों में बन जाती है नकली शराब
    छैरा में ओपी से नकली शराब बनाने वाले कारोबारी इस कदर बेखौफ थे कि जिस गांव से शराब बनाने का ऑर्डर मिलता, वहीं ओपी से भरे ड्रम, खाली बारदाना व पैकिंग करने की मशीन लेकर पहुंच जाते थे। रात को खेत में रोशनी करने के लिए सिर्फ एक हैलोजन लगाई जाती और रातभर में सैकड़ों लीटर शराब बनाकर उसे पैकिंग के साथ सप्लायर के सुपुर्द कर दी जाती।

विशेष चर्चा में जहरीली शराब कांड में आरोपी बनाए गए रामवीर राठौर व उसके बेटे प्रदीप राठौर के परिवार के सदस्य ने। इस सदस्य के अनुसार, यह बात सही है कि रामवीर राठौर अपनी गुमटी से तथा बृजकिशोर शर्मा अपनी दुकान से शराब बेचता था। ओपी से जहरीली शराब बनाने का कारोबार मानपुर के गिर्राज त्यागी व छैरा के मुकेश किरार ही करते थे। यह दोनों 5 साल से इस कारोबार में हैं।

7 में से 3 आरोपी शराब बनाते थे, शेष 4 थे सप्लायर, जुटाया जा रहा संपत्ति का ब्यौरा
शराब माफिया को कड़ा संदेश देने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को फ्री हैंड कर दिया है। जिस जहरीली शराब के पीने से 24 लोगों की मौत हुई, उसे बनाकर मानपुर में सप्लाई करने वाले छैरा के मुकेश पुत्र भोगीराम किरार के 2 घरों को प्रशासन ने जमींदोज कर दिया। वहीं अन्य आरोपियों की संपत्ति का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है ताकि माफिया के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सके।

लागत कम, चंद घंटों में बन जाती है शराब, इसलिए कच्ची की जगह नकली शराब का कारोबार बढ़ा
15 साल पहले तक श्योपुर के मानपुर-कराहल तथा अंबाह के एड़ीमाल का पुरा गांव में कच्ची शराब बनाने का कारोबार होता था लेकिन गुड़ व शीरा से लहान तैयार कर उसे जमीन में गाढ़कर रखने के बाद 10 से 12 दिन बाद शराब बनकर तैयार होती थी। इसमें लागत भी अधिक आती थी।

1990 के बाद राजस्थान की सस्ती शराब से तस्करी करने का चलन बढ़ा। इसके बाद स्थानीय तस्करों ने नकली शराब बनाने की विधि सीखी और जौरा के छैरा, अलापुर, सिकरौदा में शराब बनाई जाने लगी। लॉकडाउन में यहां की बनी हुई शराब जिलेभर में सप्लाई हुई। गनीमत रही कि जनवरी में होने वाले निकाय व पंचायत चुनाव टल गए। अगर छैरा की बनी शराब चुनाव में खपाई जाती तो मृतकों की सूची लंबी होती।