आज की परेशानी कल का स्वर्णिम इतिहास की ओर कदम हे,मेरे इस लेख से हो सकता हे बहुत लोग सहमत न हो ,ऐसी विकट परिस्थितियों मे भी यह सोचना किसी कल्पना से कम नहीं है पर जरुरी नहीं सभी ही दूर की सोचें य सभी को दूर का दिखाई दे ,जिसे दिख रहा हे वो इन पलों मे भी उत्साहित हे ओर जो समझ रहे हैं ,उनमें बैचेनी भी।
कहते हे संकट के बाद जरूर कुछ अच्छा भी होता हे ,इस संकट के काल न जहां एक ओर देश का बहुत बढा आर्थिक नुकसान किया हे देश की अर्थव्यवस्था को संभलने मे समय लगेगा, देश के वंद होते व्यापार मे भी सुधार होने मे समय लगेगा वांकी सभी बाते जैसी आप सव सोचते है वो सव होने मे समय लगेगा ।
पर मैं जो आज देख पा रहा हूं वह आने वाले समय के लिए वरदान सिद्ध होगा ,कोरोना से जहां पूरा विश्व परेशान हे कल तक जो देश अपने आपको परमाणु सम्पन्न देश होने का दंभ भरा करते थे आज वो घुटनों पर हें।उनके पास सव कुछ था पर संस्कृति, संस्कार ओर आध्यात्म नहीं था ।मौज उडाती दुनिया मे आज सव वौने नजर आ रहे हे।
इस संकट की घडी मे हमारे देश के प्रधानमंत्री ने अपने कुशल नेतृत्व से देश की जनता को एक सूत्र मे बांध कर रखा साथ ही देश की आवश्यकता की पूर्ति के लिए स्वदेशी तकनीकों का सहारा लिया ,यही कारण हमें आगे ले जायेगा, इस संकट की घडी मे देश के बिजनेसमैन सामने से आकर मदद का हाथ बढाये हे ,उससे देश को बल मिला हे हमारे मंदिरों ने दो तरह से योगदान दिया हे एक तो अपने खजाने मे से राहत कार्य के लिए फंड दिया दूसरे वगैर किसी अपत्ति के मंदिरों ने लॉकडाउन का पूरा पालन किया ,जव देश की कुछ मस्जिदों से तबलीगी निकल रहे थे तव मंदिर से घंटे की भी आबज नहीं आ रही थी। देश के मुख्यमंत्रियों से स्वयं प्रधानमंत्री बात कर रहे थे ओर सुझाव मांग रहे थे ओर सलाह दे रहे थे ,इस सवके बीच देश की प्रमुख संस्थाएं जैसे इसरो ,डीआरडीओ, रेलवे, के अलावा प्राईवेट कम्पनियां भी वो सव करने मे लग गई थी जिसकी देश को जरूरत थी।
इसलिए कहा जा सकता हे ,देश का भविष्य सुनहरा हे हम सबसे पहले इस कोरोना की जंग को जीतेंगे ओर पूरी दुनिया को एक आध्यात्मिक शाक्ति होने का अहसास भी करायेंगे।