Tuesday, October 21

मध्यप्रदेश की राजनीति में कोरोना का वार

पूरी दुनिया में वायरस ने अपनी दहशत फैला रखी हैं वही भारत के मध्यप्रदेश खींचतान के चलते कोरोना की आड़ में शय मात का खेल जारी हैं | गौरतलव हैं की विगत कई दिनों से मध्यप्रदेश की राजनीति में भाजपा – कांग्रेस के बीच संघर्ष चल रहा हैं जिसमे दोनों ही पार्टिया शय मात का खेल खिलाने में व्यस्त हैं जब से मध्यप्रदेश की सरकार वनी हैं तभी से मध्यप्रदेश के भाग्य में राजनितिक संकट के बादल रहे हैं निर्दलीयों की कृपा पर टिकी कमलनाथ सरकार खुलकर काम करने में भी हिम्मत नहीं दिखा पा रही हैं आये दिन सरकार के ऊपर अविश्वास की तलवार लटकती दिखाई देती रहती थी |

अब जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी अपेक्षा से रुष्ट होकर भाजपा का दामन थाम लिया तब से उनके समर्थक भी कांग्रेस से बाहर आ गए इसके चलते कांग्रेस सरकार अस्थिर व अल्पमत में आ गयी किन्तु सत्ता का खेल आकड़ो का खेल हैं तो उन आकड़ो को बनाने और बिगाड़ने का खेल भी जारी हैं |

दूसरी और राज्यसभा में भी दोनों ही पार्टियो का अपना अपना गणित चल रहा हैं उस गणित ने मध्यप्रदेश की राजनीति का भूगोल ही बदल कर रख दिया | क्योँकि इसी गणित के चलते मध्यप्रदेश की राजनीति में घोरविरोधी भी साथ साथ दिखाई दे रहे हैं और किसी भी तरह राज्यसभा की सीट पाना चाहते हैं उसी से मध्यप्रदेश के विधानसभा का भूगोल बदल गया हैं |

अब जब आज से बजट सत्र प्रारम्भ हो रहा था वह बजट सत्र भी कोरोना की भेट चढ़ गया या ये कहे की कोरोना ने मध्यप्रदेश की राजनीति प्रवेश कर लिया हैं और कमलनाथ सरकार को कुछ समय के लिया अपना गणित सुधारने के लिए अवसर दे दिया हैं क्योँकि राज्यपाल महोदय ने परीक्षण की बात कही शक्ति परिक्षण कोरोना का भय दिखा कर कुछ समय के लिए इसे बात को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट जाने की कही जा रही हैं अब देखना यह हैं की आगे का मामला कोर्ट किस तरह देखता हैं अभी तो फिलहाल कोरोना ने कमलनाथ सरकार को थोड़ी से राहत दे दी हैं |