Sunday, October 19

ये कैसी सियासत ?

हाल ही में दिल्ली सम्प्रदियिक दंगे हुए सीएए के विरोध और सीएए के पक्ष के समर्थंन और विरोध का परिणाम थे अब इसके बाद राजनितिक पार्टिया उन दंगो पर भी अपनी राजनिति करने से वाज नहीं आ रही हैं |

अभी दंगो के जख्म ख़त्म भी नहीं हुए की उन्हें कुरेदने का काम राजनितिक पार्टी के लोग भ्रमण करके करने लगे हैं यह उनकी दृस्टि से संबेदना व्यक्त करना हो सकता हैं पर पीड़ित व्यक्ति के लिए आज सिर्फ जले पर नमक छिड़कने के समान हैं | जो नेता रामलीला मैदान से सीएए का विरोध करने के लिए लोगो को उकसा रहे थे और उकसाते हुए घर से निकलकर सड़को पर आने का आव्हान कर रहे था अब वही नेता आगजनी के बाद उन वस्तियों में भ्रमण करते नजर आ रहे हैं जो इनके बयान के बाद सड़को पर उतरे थे और आगजनी का शिकार हो गए अब सवाल यह उठता हैं की ये कैसी राजनीति हैं जो पहले लोगों को सड़को पर उतरकर आरपार की लगाईं लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता हैं और फिर बाद में दंगा भड़क जाए तो उनके हाल जानने की औपचारिकता की जाती हैं

यह आम नागरिक को सोचना पड़ेगा की इसमें किसने क्या खोया जिस सीएए के विरोध के नाम पर पूरे देश में भय का माहौल बना दिया गया उससे किसको क्या मिला अब जब दंगो के दौरान व्यक्तिगत संपत्ति के साथ जनहानि भी हुयी तो उसकी भरपाई कौन करेगा |

जिन व्यक्तियों ने अपने नाते रिश्तेदार खो दिए हैं क्या उनकी इस जनहानि का विरोध काने वाले पूर्ती कर पाएंगे | क्या जिन समुदायों में इस विरोध के दौरान काई पैदा हो गयी हैं उसकी भरपाई कोई कर पायेगा क्या कोई उस संपत्ति की भरपाई कर पायेगा जो लोगो ने बर्षो में इकट्ठी की थी आखिर ये कैसी राजनीति हैं को लोगो को लड़ाकर की जाती हैं |