
भले ही सोशल मीडिया के दुरूपयोग की बात समय समय पर उठ रही है पर आज जिस तरह से सोशल मीडिया का चलन बड रहा है उससे कहीं न कहीं इलेक्टोनिक मीडिया पर फ र्क तो पड रहा है। अक्सर इलेक्टोनिक मीडिया पर एक तरफ न्यूज प्रसारित करने के आरोप लगते रहे हैं। पर सोशल मीडिया का बडता दायरा और बडते उपभोक्ताओं ने कहीं न कहीं इलेक्टोनिक चैनलों को प्रभावित तो किया है। अब कोई मामले को इलेक्टोनिक चैनल एक तरफा दबाब नहीं बना पाते। सोशल साइटों पर किसी भी खबर के आने के बाद इलेक्टोनिक मीडिया को भी अपने पैर पीछे खींचने पडते हैं।
एक समय था जब समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार अपनी विश्वसनीयता रखते थे पर बडते समाचार पत्रों की संख्याओं ने और समाचार पत्रों के व्यवसायीकरण ने कहीं न कहीं विश्वसनीयता खोई है। पर जैसे ही देश में इलेक्टोनिक समाचारों का चलन चला तो उसका प्रभाव समाचार पत्रों पर भी पडा और इलेक्टोनिक चेैनलों में भी बडती संख्या और प्रतिस्पर्धा व व्यवसायीकरण के चलते उनकी विश्वसनीयता कमजोर पडने लगी। इसके साथ ही समय प्ररिवर्तित हुआ समाचार का स्वरूप भी बदला अब इलेक्टोनिक चैनलों की जगह सोशल नेटवर्किंग साइटों ने ले ली है। जो वर्तमान में कहीं न कहीं इलेक्टोनिक चैनलों को चुनौती दे रहीं हैं।