
बंगलौर|भारतीय सिनेमा के जाने-माने चरित्र अभिनेता और लेखक गिरीश कर्नाड का सोमवार को लंबी बीमारी के बाद बेंगलुरु में निधन हो गया। वे 81 साल के थे। मौत की वजह मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर बताया गया। गिरीश कर्नाड बहुमुंखी प्रतिभा के धनी थे.
1960 के दशक में नाटकों के लेखन से कर्नाड को लोग पहचानने लगे. कन्नड़ नाटक लेखन में गिरीश कर्नाड की वही भूमिका है जो बंगाली में बादल सरकार, मराठी में विजय तेंदुलकर और हिंदी में मोहन राकेश जैसे दिग्गज नाटककारों की है.
लगभग पांच दशक से ज्यादा समय तक कर्नाड नाटकों के लिए सक्रिय रहे. कर्नाड ने अंग्रेजी के भी कई प्रतिष्ठित नाटकों का अनुवाद किया. कर्नाड के भी नाटक कई भारतीय भाषाओं में अनुदित हुए. कर्नाड ने हिंदी और कन्नड़ सिनेमा में अभिनेता, निर्देशक और स्क्रीन राइटर के तौर पर काम किया. उन्हें पद्मश्री और पद्म भूषण का सम्मान मिला. कर्नाड को चार फिल्म फेयर अवॉर्ड भी मिले.
उनके निधन प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने शोक प्रकट किया हैं| नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा की’गिरीश कर्नाड को सभी माध्यमों में उनके बहुमुखी अभिनय के लिए याद किया जाएगा. उनके काम आने वाले वर्षों में लोकप्रिय होते रहेंगे. उनके निधन से दुखी हूं. उनकी आत्मा को शांति मिले.’
गिरीश कर्नाड ने जिन प्रमुख हिंदी फिल्मों में काम किया, उनके नाम हैं – टाइगर जिंदा है, शिवाय, चॉक ए डस्टर, कॉफी शॉप, स्मार्ट एंड कंपनी, रॉक इन लव, एक था टाइगर, पीपली लाइव, आतंक, डोर, इकबाल, हे राम, चाइन गेट, अंतरनाद, सुर संगम।