भोपाल। इराक संकट के कारण डीजल-पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में सोचना जरूरी है कि ईधन के पूर्ण वैकल्पिक स्त्रोत नहीं तलाशे गए तो विश्व के विकास की रफ्तार का क्या होगा। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने बीते कुछ वर्षों में दो तरह की चिंता बढ़ा दी है। पहली दुनिया के अधिकांश देश कच्चे तेल के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर हैं, जहां लंबे समय से आतंकवाद और विद्रोह के कारण अस्थिरता का माहौल है। दूसरी इन तेलों से पर्यावरण को गंभीर रूप से नुकसान हो रहा है। इन समस्याओं का एक ही हल है कि कम लागत पर आसानी से प्राप्त होने वाला ऐसा वैकल्पिक ईधन तलाशा जाए जो पर्यावरण के लिए कम से कम नुकसानदायक हो, साथ ही लोगों की जरूरतों पर खरा उतरता हो।
बायोफ्यूल, इथेनॉल, सौर ऊर्जा और हाईड्रोजन ईधन ऐसे ही कुछ विकल्प हैं, जो पर्यावरण को जीवाश्म ईधन की तुलना में कम नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन इन्हें प्राप्त करने में कई तरह की व्यावहारिक परेशानियां हैं। वैज्ञानिक इन परेशानियों को दूर करने के तरीके तलाशने में जुटे हैं। उम्मीद है कि आन वाले समय में जीवाश्म ईधन पर निभर्रता पूरी तरह से खत्म तो नहीं, लेकिन इसे कम जरूर किया जा सकता है।
बायोडीजल कैसे तैयार होता है
बायोडीजल एक बायोफ्यूल है। यह जैट्रोफा रतनजोत, कंरजी और कई तरह के खाद्य तेलों से तैयार किया जाता है। इसका सबसे अच्छा स्त्रोत रतनजोत और करंजी हैं। कई खासियतों की वजह से इसे भविष्य का ईधन माना जा रहा है। रतनजोत और करंजी से बना बायोडीजल इंजन में सीधा उपयोग किया जा सकता है, जबकि खाद्य तेलों से तैयार डीजल के लिए इंजन में कुछ बदलाव करने होते हैं।
क्या है फायदा
पेट्रोडीजल की तुलना में बायोडीजल में हानिकारक रसायन कम उत्पन्न होते हैं। खासकर इससे कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में बहुत कमी आती है। यह जीवाश्म ईधन से बेहतर ल्युब्रीकेंट है, इसलिए इंजन की क्षमता बढ़ाता है। दूसरे वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों की तुलना में इसमें ऊर्जा सबसे अधिक होती है।
क्या है कमी
प्योर बायोडीजल से अभी इंजन चलाना मुश्किल है। इसे पेट्रोडीजल में 5 से 20 फीसदी मिलाकर उपयोग करते हैं। हालांकि इसका इतना उत्पादन नहीं हो सकता कि यह पेट्रोडीजल का पूर्ण विकल्प बन पाए। इसके लिए जरूरी फसलों का उपजाऊ भूमि पर उत्पादन बढ़ा तो दुनिया में खाद्यान्न संकट पैदा होने का डर है।
कैसे होता तैयार
यह भी बायोफ्यूल है। इसे उन सभी जैविक पदार्थों से तैयार किया जा सकता है, जिनमें स्टार्च या शक्कर पाई जाती है। इसका सबसे बढिय़ा स्त्रोत गन्ना है मक्का है। इसे एथिल अल्कोहल, इथेनॉल या सिर्फ अल्कोहल के नाम से जाना जाता है। प्योर इथेनॉल उपयोग करने के लिए इंजन में कुछ बदलाव करने पड़ते हैं। फिलहाल इसे पेट्रोल में 10 से 30 फीसदी मिलाकर सामान्य इंजन में उपयोग किया जाता है।
क्या है फायदा
इसमें जीवाश्म ईधन की तुलना में पर्यावरण के लिए हानिकारक पदार्थों का उत्सर्जन कम होता है। इथेनॉल के और भी कई उपयोग होते हैं। जैसे इसे पेय पदार्थों में मिलाया जाता है। यह पेंट और वार्निश इंडस्ट्री में उपयोग होता है। इसके निर्माण के बाद बचे हुए अपशिष्ट पदार्थों से कई दूसरे उत्पाद भी बनाए जाते हैं। एल्युमिनियम को नुकसान पहुंचाता है।
क्या है कमी
बायोइथेनॉल के लिए जरूरी फसलों का अधिक उत्पादन भी खाद्यान्न संकट पैदा कर सकता है। इसके लिए अमेरिका में ही प्रवि वर्ष 35 करोड टन मक्के का उत्पादन हो रहा है।