Saturday, November 8

मंहगाई पर रार समझ से परे

121भोपाल। देश में विगत 10-15 सालों से मंहगाई पर कोहरम मचा हुआ है। सरकारों को अस्थितर करने व अपने चैनलों की टीआरपी बढ़ाने देश में एकदम ऐसा महौल तैयार करने की इलेक्ट्रोनिक मीडिया द्वारा शाजिश की जा रही है सरकार किसी की भी हो पर 24 घंटे संसनी फैलाने व समाचार दिखाने की होड़ में समाचार चैनल ये भूल बैठते हैं कि उनके इस तरह हल्ला मचाने से देश के अन्य हिस्सों में नका रात्मक फर्क पड़ता है आपको बदा दें, दिल्ली में आलू प्याज मंहगे हुए हों तो मीडिया का मानना है कि पूरे देश में आलू प्याज मंहगे हो गए हैं। इस खबर के चलते ही मुनाफा खोर देश के अन्य शहरों में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में सप्लाई कम कर देते हैं। इससे और जगह भी उपयोगी वस्तुऐं मंहगी हो जाती हैं।
इसी तरी डीजल का रेट बढ़ते ही न्यूज चैनल मंहगाई का भय दिखाने लगते हैं और इससे ट्रांसपोर्ट सहित अन्य वस्तुऐं मंहगी हो जाती हैं। पर दाम गिरने के बाद वह वस्तुऐं सस्ती नहीं होतीं, आज चना 2000 हजार रूपए क्वंटल बिक रहा है पर उससे बनने वाली वस्तुऐं जो मंहगी हो गई हैं चने का दाम कम होने के बावजूद भी उन वस्तुओं के दाम कम नहीं हो रहे हैं। इसी तरह नित्य उपयोग में आने वाली कई वस्तुऐं हो जिस पर इस तरह का खेल मचा हुआ है और एक बार दाम बढ़ जाए तो भले ही उससे बनने वाली सामग्री सस्ती हो जाए पर उनके दाम नहीं घटते हैं इसलिए स्थिर बनी हुई है।