Monday, September 22

जानिए आपको राहत पहुंचाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं मोदी

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नईदिल्ली। वित्त मंत्री अरूण जेटली आने वाले हफ्तों में देश का पहला बजट पेश करेंगे। इस बजट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर बनाई गई योजनाओं का खुलासा हो सकेगा। कुछ महीने पहले मोदी ने चुनावी जनसभाओं के दौरान गुजरात के विकास मॉडल का बखान किया था। मोदी इस बजट में अपने उसी विकास मॉडल से जुड़े कुछ नए आइडिया लोगों के सामने पेश कर सकते हैं।
खेती में चलेगा मोदी के गुजरात मॉडल का जादू: मोदी के विकास मॉडल को लेकर जानकारों की राय बंटी हई है, लेकिन एक तथ्य तो बिलकुल साफ है कि गुजरात में मोदी सरकार के 10 साल के शासन के दौरान कृषि के क्षेत्र में 10 प्रतिशत सालाना के हिसाब से ग्रोथ हुई। गुजरात में कृषि के क्षेत्र में हुए विकास की सीधी-सीधी वजह पानी के नए उत्पन्न संसाधनों को खेतों तक पहुंचाने और नई तकनीकी सुविधाओं तक किसानों की पहुंच को सुलभ बनाना है। ऐसे में इस बात की उम्मीद है कि अरूण जेटली के बजट में मोदी द्वारा गुजरात में एग्रीकल्चर सेक्टर में अपनाई गई योजनाओं की झलक मिलेगी। हाल ही में बीजेपी लीटर और केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी इस बात के संकेत दिए थे कि कृषि को लेकर नया अप्रोच अपनाया जाएगा। जावड़ेकर ने कहा था कि पानी को हर खेत तक पहुंचाने के लिए के लिए एक अभियान छेड़ा जाएगा। सरकार भले ही यह कह रही हो कि पानी को सिर्फ हर खेत तक पहुंचाना है, लेकिन यह इतना आसान काम नहीं है। इसके लिए सिंचाई क्षेत्र में निवेश की जरूरत पड़ेगी। वैसे भी भारत में करीब 60 फीसदी खेती मॉनसूनी बारिश पर आधारित होती है। चूंकि खेती राज्य के अधिकार के तहत आने वाला सेक्टर है, इसलिए जेटली को कृषि सेक्टर के लिए नई आधारभूत पॉलिसी के साथ सामने आना होगा।
जेटली ने कहा है कि वह शुरूआती तौर पर महंगाई को काबू करने के लिए सरकारी गोदामों में बंद अनाज को निकालकर गरीबों तक पहुंचाएंगे। इसके लिए दाल, अंडे, सोयाबीन, दूध जैसे प्रोटीन वाले खाद्य आइटम पर इम्पोर्ट ड्यूटी वर्तमान में लागू 30 प्रतिशत से घटाकर जीरो किया जा सकता है। जानकार मानते है ंकि ऐसा करने से कीमतों में तीस प्रतिशत तक की कमी हो जाएगी।

जानकार मानते है ंकि ऐसा करने से कीमतों में तीस प्रतिशत की कमी हो जाएगी। लेकिन चुनौती यह है कि ऐसा करने पर सरकार को डेयरी और मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़े लोगों का विरोध सहना होगा।
गरीबों की सरकार या कॉरपोरेट की?
बीजेपी के चुनावी मुहिम में मद्द करने वाली कॉरपोरेट लॉबी को जेटली के बजट से बहुत सारी उम्मीदें हैं। वे ऐसा मानकर चल रहे हैं कि बीजेपी सरकार उनकी सभी समस्याओं को दूर कर देगी। यह भी सर्वमान्य तथ्य है कि देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति के लिए बहुत हद तक ग्लोबल स्लोडाउन जिम्मेदार है। हालांकि, इस वैश्विक मंदी की क्या वजह है, इस अभी तक साफ नहीं हो पाया है। इनके सब विसंगतियों के बीच कॉरपोरेट जगत मोदी से वे सभी राहत चाहता होगा, जिनसे उनका बैलेंस शीट मजबूत हो। वहीं, कॉरपोरेट हितों के उलट मोदी ने सत्ता में आने के बाद कहा था कि यह गरीबों की सरकार होगी। इससे यह संदेश तो जाता है कि नया बजट कॉरपोरेट हितों से ज्यादा देश के आम नागरिकों के मद्देनजर तैयार होगा।
गुड्स एंड सर्विस टैक्स साबित होगा बड़ा राजनीतिक मौका: नई सरकार इनडायरेक्ट टैक्स के क्षेत्र में सुधार के लिए गुड्स एंड सर्विस टैक्स को लागू कर सकती ळै। इसे लेकर पूर्व की सरकार में काफी काम हो चुका है, लेकिन यह बीजेपी शासित राज्यों और खुद मोदी की गुजरात सरकार थी, जिसने इसके रास्ते में रोड़े अटकाए थे। इसके अलावा, इनकम टैक्स काूननों को लेकर लंबित डायरेक्ट टैक्स कोड को लागू करके कॉरपोरेट जगत को थोड़ी राहत दी जा सकती है। जहां तक आर्थिक घाटे का सवाल है, इसे रातों रात खत्म नहीं किया जा सकता। अर्थव्यवस्था पर सब्सिडी के वर्तमान दबाव में तो बिलकुल नहीं। इसके समस्या से निपटने के लिए जेटली दो या तीन साल की योजना बनाकर काम करेंगे। मोदी की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह कॉरपोरेट जगत और अच्दे दिनों की आस लगाए बैठी आम जनता, दोनों की उम्मीदों पर खरा उतरना है। जेटली भी यह कह चुके हैं कि आर्थिक तरक्की के रास्ते पर लौटने के लिए कुर्बानी देने के लिए तैयार रहना होगा। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कुर्बानी कौन देगा, कॉरपोरट लगत या आम आदमी?
मोदी ने अपने चुनावी अभियान के दौरान यह भी वादा किया था कि वह मुंबई धमाकों के मास्टरमाइंड और अंडरवल्र्ड डॉन दाउद इब्राहिम को देश वापस लाएंगे। दाउद फिलहाल आईएसआई की सुरक्षा में पाकिस्तान में छिपा हुआ है। कूटनीतिक हल की बात करें तो दाउद को वापस करने से पहले पाकिस्तान को पहले यह मानना होगा कि वह उनके देश में छिपा हुआ है। पाक अभी तक इस बात से इनकार करता रहा है। जानकार मानते हैं कि दाउद अपने काले धंधों की कमाई से पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए फंडिंग इकट्ठी करता है। इसके बदले में आईएसआई उसे सुरक्षा मुहैया कराता है। जानकार मानते है ंकि मोदी के सरकार में आने के बाद से दाउद ने आईएसआई को और ज्यादा पैसे देने शुरू कर दिए हैं।