Monday, September 22

कृषि व मौसम विभाग ने जताई चिंता, सिर्फ 40 दिन होगी वर्षा

5267_img_0417भोपाल। मप्र में मानसून के कुल 120 दिन में से 70 दिन बारिश हो जाए तो सामान्य वर्षा मानी जाती है, लेकिन इस बार बारिश के दिन 40 के आसपास ही रहने के संकेत मिल रहे हैं। बारिश के दिन घटने के कारण यह आशंका बढ़ गई है कि शेष दिनों में कुछ दिन भारी वर्षा के हो सकते हैं, जो फसलों के लिए नुकसानदायक होंगे। कृषि व मौसम विभाग के अधिकारियों ने इन स्थितियों की समीक्षा की।
मौसम विभाग ने मांगी रिर्पोट: मौसम विभाग के निर्देशक डीपी दुबे ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा के बताया कि 5-7 जुलाई के बीच मानसून आ जाएगा। इस बार 94 फीसदी वर्षा होने की उम्मीद है। आमतौर पर प्रदेश में मानसून 13 से 20 जून के बीच दस्तक दे देता है, लेकिन इस बार मानसून लेट है। डॉ. राजौरा ने बैठक के बाद बताया कि तीन जिलों मंडला, डिंडोरी और बालाघाट में कई किसानों ने 17, 18 व 19 जून को हुई बारिश के बाद धान की बुवाई कर दी है। इसके बाद बारिश नहीं हुई, लिहाजा अब उनकी स्थिति बिगड़ रही है। तीनों जिलों की रिपोर्ट बुलवा ली है।
किसानों को दी चेतावनी: मौसम विभाग के निदेशक डीपी दुबे ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ राजेश राजौरा को बताया कि 5-7 जुलाई के बीच मानसून आ जाएगा। इस बार 94 फीसदी वर्षा

होने की उम्मीद है। आमतौर पर प्रदेश में मानसून 13 से 20 जून के बीच दस्तक दे देता है, लेकिन इस बार मानसून लेट है।
हो सकती है सामान्य वर्षा: मौसम विभाग ने बताया कि 2012 में भी 4 जुलाई को मानसून ने दस्तक दी थी, तब भी 111 सेमी वर्षा हुई थी। मप्र की औसत वर्षा 100 सेमी मानी जाती है। वर्ष 2013 में 11 जून को मानसून आ गया था, तब 131 सेमी वर्षा हुई थी। इस बार यदि जुलाई के पहले सप्ताह में ही मानसून आ जाता है तो सबसे ज्यादा बारिश जुलाई और अगस्त में ही होने की उम्मीद है।
किसान 15 जुलाई के बार करें बुवाई: कृषि विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजौरा के मुताबिक किसानों को सलाह दी गई है कि 15 जुलाई से पहले बुवाई न करें। यह भी ध्यान रखें कि ढाई इंच तक बारिश हो जाए। बारिश और लेट होती है तो सूखा रोधी फसलों का विकल्प रखते हुए मक्क, ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द और कपास की फसल लें। पश्चिमी मध्यप्रदेश के लोगों को भी कहा गया है कि बुवाई देरी से करें।