कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गाँधी ने आनन्-फानन में महासचिवों की नियुक्ति की जिसमे एक महासचिव का पद अपनी बहन प्रियंका वाड्रा को दिया गया तो दूसरा महासचिव का पद ज्योतिरादित्य सिंधिया को दिया गया ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश के चुनावों में महती भूमिका अदा करते हुए नजर आ रहे थे परिणाम स्वरुप कांग्रेस को सत्ता प्राप्त हुयी सत्ता में भागी दारी को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस में त्रिकोणीय शंघर्ष दिखाई दे रहा हैं जिसमे एक और मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं तो दूसरी और परदे के पीछे दिग्विजय सिंह भूमिका निभाते हुए नजर आरहे हैं और तीसरे सिंधिया जी स्वयं ऐसे में सत्ता के बटवारे को लेकर आपस में खींचतान साफ़ दिखाई दे रही हैं चाहे मंत्री पद हो या अन्य विभागों की जिम्मेदारी यह खींचतान साफ़ दिखाई दे रही हैं मुख्यमंत्री कमलनाथ कोई भी निर्णय बैगेर कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष की सहमति के बगैर नहीं ले पा रहे हैं
ऐसे में राहुल गाँधी ने इस समस्या का समाधान करने के लिए ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को उत्तरप्रदेश का महासचिव बना कर ताजपोशी कर दी जिससे मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया का हस्तछेप कम हो सके ऐसा आलचकों का कहना है सच हैं यह तो स्वयं ज्योतिरादित्य सिंधिया जानते हैं या फिर राहुल गाँधी एक बात जरूर हैं इन सब का दूरगामी परिणाम मध्यप्रदेश की जनता देखेगी