गंजबासौदा | शासकीय अस्पताल में लंबे समय से अव्यवस्थाएं व्याप्त हैं। इनसे मरीजों और उनके परिजनों को ही नहीं बल्कि चिकित्सा कर्मियों को भी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। इस अव्यवस्था का सामना आज एक मासूम नवजात बच्ची और उसके परिजनों को करना पड़ा दरअसल नामदेव कॉलोनी निवासी आकाश सोलंकी की 22 वर्षीय पत्नी रश्मि सात माह की गर्भवती थी। उसे पेट दर्द होने पर परिजनों ने शासकीय अस्पताल में भर्ती करा कर उसका उपचार शुरू कर दिया। इस बीच उसे प्रसव पीड़ा होने लगी और रात करीब साढ़े बारह बजे रश्मि ने एक बच्ची को जन्म दिया। जिसका वजन करीब 500 ग्राम था। रश्मि की सास अनीता सोलंकी ने बताया कि प्रसव के बाद नर्सों ने नवजात को मृत बताकर उसे एक कपड़े और रूई में लपेटकर प्रसूति कक्ष में ही रख दिया था। इस दौरान नर्सों ने न तो महिला चिकित्सक को बुलवाया और न ही शिशु रोग विशेषज्ञ से नवजात की जांच कराई। जब नवजात बच्चे की दादी सुबह प्रसूति कक्ष में पहुंचीं तो वहां नवजात बच्ची रो रही थी। मृत बताए गए नवजात को रोते देखकर वे हैरान रह गई और तुरंत उन्होंने नर्सों को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद नर्सों ने नवजात को एनआईसीयू में रखकर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.अतुल जैन से उसका परीक्षण कराया। जिन्होंने जांच के बाद नवजात की नाजुक हालत को देखते हुए उसे उच्च स्तरीय उपचार के लिए विदिशा रेफर कर दिया।