Monday, September 22

राज्यपाल बदलने के कदम को कभी आडवाणी ने बताया था संघीय व्यवस्था पर हमला

5611_adनईदिल्ली। केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा द्वारा पूर्ववर्ती सरकार की तरफ से नियुक्त किए गए कई राज्यपालों को हटाने संबंधी संकेत देने के बाद से ही राजनीति गरम है। कई राज्यपाल जहां इस्तीफा दे चुके हैं वहीं कई इस्तीफा नहीं देने पर अड़ गए हैं। हालांकि, कांग्रेस ने 2004 में जब एनडीए सरकार की तरफ से नियुक्त राज्यपालों को हटाया था तो उस कदम की अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे सीनियर बीजेपी नेताओं ने कड़ी आलोचना की थी। तब वाजपेयी ने जहां कांग्रेसी फैसले को लोकतंत्र पर बड़ा हमला बताया था वहीं आडवाणी ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक करार दिया था।
यूपीए सरकार में हटाए गए थे राज्यपाल:-कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2004 में पूर्ववर्ती एनडीए सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश के राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री, हरियाणा के बाबू परमानंद, गोवा के केदारनाथ शाहनी और गुजरात के कैलाशपति मिश्र को हटा दिया था। तब सरकार ने यह तर्क दिया था कि इन नेताओं की जो विचारधारा है, वह सत्तारूढ़ पार्टी की विचारधारा से मेल नहीं खाती है।
आडवाणी ने बताया था लोकतंत्र के लिए खतरनाक कदम:- कांग्रेस के इस कदम पर बतौर विपक्ष के नेता आडवाणी ने लोकसभा में नियम 193 के तहत इस मसले पर बहस की मांग की थी। आडवाणी ने तब संविधान सभा के दौरान बीआर अंबेडकर और केटी शाह के बीच हुई बहस का हवाला देकर कहा था कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद राज्यपालों को बदलने की कोई जरूरत नहीं है। 12 जुलाई 2004 को सदन में हुई बहस में आडवाणी ने कहा था, वीपी सिंह जब प्रधानमंत्री थे तो सभी राज्यपालों को हटा दिया गया था। उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद गृहमंत्री थे और तब उन्होंने बयान दिया था कि केंद्र में सरकार बदलने के साथ राज्यपालों में भी बदलाव होना चाहिए। एनडीए सरकार द्वारा नियुक्त किए गए चार राज्यपालों को हटाने के कदम पर आडवाणी ने कहा था, इन राज्यपालों को जिस तरह हटाया गया है, मुझे लगता है कि इससे देश की संघीय व्यवस्था कमजोर हुई है। इन राज्यपालों की विचारधारा सत्तारूढ़ पार्टी से अलग होने का जो तर्क दिया जा रहा है, मेरे ख्याल से वह हमारी बहुस्तरीय पार्टी व्यवस्था पर हमले की तरह है।