Tuesday, September 23

अमेरिका का आतंकवादियों का छोडऩा कोई साजिश तो नहीं

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नईदिल्ली। विगत दिनों अमेरिका द्वारा अपने एक सैनिक के बदले पांच आतंकवादियों को छोड़ा गया है। जो अमेरिका आतंकवादियों के प्रति सक्त रवैया अपनाए हुए था, अचानक क्या हुआ की एका-एक एक सैनिक के बदले पांच आतंकवादियों को छोड़ दिया गए। यह सच है कि अमेरिका अपने नागरिकों के प्रति संवेदनशील रहता है। पर यह घटना यदि आज के मायने में देखी जाए तो निश्चित ही संसय पैदा करती है। जिस तरह से भारत ने अमेरिका के प्रति अपना रूख अखतियार कर रखा है और चीन सहित पाकिस्तान, बंग्ला देश, भूटान, मलेशिया, नेपाल सहित पडोसी देशों के प्रति भारत का झुकाव कहीं अमेरिका की नई रणनीति तो नहीं। जैसा की अफगानिस्तान को लेकर अमेरिका अपनी योजना बता चुका है की वहां से अमेरिकी सैनिक हटाए जाएंगे। इससे एक बार फिर पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान के बीच स्थितियां उतनी सामान्य नहीं रह पाएंगी। क्योंकि कट्टरपंथी तालीबानी नहीं चाहते कि ये मुल्क आपस में शांति से रहें एवं छोड़े गए आतंकवादियों में मोहम्मद फजल जो कभी तालीबान शासन में उपरक्षा मंत्री था, दुसरा नुरूल्लानूरी तालीबान सेना का वरिष्ठ कमाण्डर था, तीसरा अबदुलहक बासिफ तालीबानी खूफिया विभाग का उपमंत्री था, चौथा मोहम्मद नवीओमरी तालीबानी शासन में मुख्य सुरक्षा अधिकारी था, पांचवा खरीउल्ला खैरब्बा आपको याद होगा बिन लादेन अमेरिका की ही देन था जो बाद में खूंखार आतंकवादी के रूप में सामने आया। खैर यह बड़ा कूटनैतिक मामला है इस पर अपनी तरफ से ज्यादा कहना न काफी होगा, पर अमेरीका की बदली हुई नीति संदेह को जन्म देती है।