Wednesday, September 24

जंजीर से बंधे दो मासूम

divyang_boy_06_12_2018मंडीदीप। माँ एक ऐसी शक्शियत होती हैं जो अपने बेटे के लिए अपनी जान  तक दाव पर लगा देती हैं पर अपने बच्चे को आंच तक नहीं आने देती और हमेशा भगबान से दुआ करती हैं के भगबान तू मेरे बच्चे को हमेशा खुश रखना चाहे उसके बदले में तू मेरी जान ले ले और कोई माँ ऐसी नहीं होगी जो अपने बच्चे की आजादी पर पावंदी लगा दे | पर मध्यप्रदेश के मंडीदीप में एक ऐसी माँ हैं जो कलेजे पर पत्थर रखकर अपने बच्चो को जंजीर से बांधे हुये हैं दरअसल इस मां के दो बेटे मानसिक रूप से दिव्यांग हैं। उनकी सुरक्षा की खातिर इस मां को ऐसा कदम उठाना पड़ रहा है। यह दर्दभरी कहानी नगर के वार्ड 17 सतलापुर निवासी देवी प्रजापति की है। उनकी तीन बेटे और एक बेटी है। दो बेटे भगवती शरण और जगदंबिका शरण मानसिक दिव्यांग हैं। इन्हें खुला रखना खतरे से खाली नहीं है। इनके पिता दयाराम प्रजापति जिगर के टुकड़ों को शासन की दिव्यांग के लिए संचालित कल्याणकारी योजनाओं का लाभ दिलाने 5 साल तक दर-दर भटके। अंत में थक हार कर वे इस दुनिया को ही अलविदा कह गए, लेकिन दोनों बच्चों को किसी योजना का लाभ नहीं दिला सके। जिम्मेदारी बूढ़ी मां और छोटे बेटे अंबिका के कंधों पर है। मां और बेटा दोनों भाइयों को लेकर दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अधिकारी कह रहे है कि दोनों बच्चे अब ओवरऐज (14 साल से अधिक उम्र के) हो गए हैं। अब इन्हें योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। हालांकि अभी अंबिका ने हिम्मत नहीं हारी है और वह भाइयों को सरकारी सहायता दिलाने का भरसक प्रयास कर रहा है। देशभर में अलग-अलग तरह की 10-12 योजनाएं हैं। इनमें से एक पेंशन योजना भी है। इसके लिए नगरीय क्षेत्र में सीएमओ से संपर्क कर लाभ लिया जा सकता है। जिन बच्चों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है