नई दिल्ली | दिल्ली में ‘शांति, सद्भाव और प्रसन्नता की ओर : संक्रमण से परिवर्तन’ विषय पर शुक्रवार को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश में बढ़ती असहिष्णुता और मानवाधिकारों का हनन और देश का अधिकांश धन अमीरों की जेब में जाने से गरीबों के बीच बढ़ती खाई पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि जिस देश ने दुनिया को ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और सहिष्णुता का सभ्यतामूलक लोकाचार, स्वीकार्यता और क्षमा की अवधारणा प्रदान की वहां अब बढ़ती असहिष्णुता, गुस्से का इजहार और मानवाधिकरों का अतिक्रमण की खबरें आ रही हैं.’प्रणव मुखर्जी पहले भी कई दफा इशारो-इशारों में बढ़ती असहिष्णुता पर निराशा जता चुके हैं