Tuesday, September 23

हौंसलों की जीत

प्रदीप राजपूत
modiआखिरकार वही हुआ जिसका देश को इंतजार था। 1984 के बाद से देश अस्थिर सरकारों को झेल रहा था, क्षेत्रिये दलों की सौदेवाजी से राष्ट्र को बड़ी छति का सामना करना पड़ रहा था। कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले क्षेत्रिय पार्टियां अपना अडंगा डाल देती थीं। इससे देश का विकास भी प्रभावित हो रहा था। दूसरी ओर वर्तमान दौर में राजनैतिक पार्टिया के मुखिया या कहें देश के जिम्मेदार नेता भी अपना विश्वास जनता के बीच से खोते जा रहे थे। ऐसे में देश की जनता के सामने विकल्प के रूप में नरेंद्र मोदी एक सशक्त व दृण इच्छाशक्ति और

विकास का जजवा लिए दिखाई दिए। देश का नागरिक भ्रष्टाचार, कुशासन को झेल रहा था।
इन सबसे हटके नरेन्द्र मोदी ने अपने 15 साल के अनुभव व कुशल शासन व गुजरात का विकास का रूप देश की जनता के सामने रखा देश की जनता ने मतदान करके उनके विकास को स्वीकार किया और इस आशा के साथ कि वह पूरे देश में एक विकास की गंगा बहा दें। वैसे तो नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा से लेकर आज तक उन्हीं के पार्टी के लोग चुनौती देते रहे हैं। आज लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया उससे ऐसा लगता है कि वह नरेन्द्र मोदी की इस जीत से प्रसन्न नहीं हैं। उनकी भाषा कांग्रेस के प्रवक्ता जैसी दिखाई दे रही थी, हम यदि इन लोकसभा चुनावो पर ध्यान डालें तो मोदी को सबसे ज्यादा दिक्कत विपक्ष के हमलों से नहीं हो रही थी बल्की उन्हीं के पार्टी के उम्रदराज लोगों की सत्तालोलुप्ता के कारण हो रही थी।
आज नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में विकास का माहौल बना कर कांग्रेस के राहुल भैया की हवा निकाल दी और देश की जनता ने भी साफ संकेत दे दिए कि अब जाति-पाति की लड़ाई का लाभ राजनैतिक पार्टियां नहीं उठा सकती यदि उनको सत्ता में बने रहना है तो सब का विकास की सोच के साथ काम करना होगा। भाजपा की आज की जीत नरेन्द्र मोदी के हौंसलों की जीत है। जिस तरह से नरेन्द्र मोदी ने पूरे देश में जो माहौल बनाया था उसके लिए सिर्फ और सिर्फ नरेन्द्र मोदी ही बधाई के पात्र हैं।