नईदिल्ली। लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे आने में कुछ ही दिन शेष हैं। चुनाव पूर्व हुए तमाम सर्वेक्षणों में कांग्रेस की हार बताई गई है। लगता है पार्टी ने भी इसे सच मान लिया है। चुनावी गहमागहमी के माहौल में भी पार्टी में सक्रियता नहीं दिख रही। अमेठी में पहली बार शर्मसार हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बनी चुनाव समन्वय समिति ने पिछले एक महीने में एक भी बैठक नहीं की है। कांग्रेस का कोर ग्रुप भी पिछले छह हफ्तों में एक भी बैठक नहीं कर पाया है। कांग्रेस के वार रूम में भी अब खामोशी दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस ने अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान कई बड़ी गलतियां की जो अब कांग्रेस के लिए भारी पड़ती नजर आ रही हैं। अगर कांग्रेस ने ये गलतियां न की होतीं तो शायद आज कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में होती।
सबसे बड़ी गलती राहुल ने सरकार में शामिल न होकर की। अगर वो सोचते थे कि उनके पास विचार है तो उन्हें उसके साथा शुरूआत करनी चाहिए थी। यूपीए को अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री को अधिक स्वतंत्रता देनी चाहिए थी, ताकि वो अर्थव्यवस्था उदारीकरण, प्रशासन पाकिस्तान सेसे जुड़े और द्विपक्षीय सीमा व्यापार संबंधी मसलों पर स्वच्छंदता के साथ बडे फैसले ले पाते। डॉ. सिंह को एक सुसंगत आर्थिक नीति प्रस्तुत करना चाहिए था ताकि 30 साल के 570 मिलियन युवाओं को आकर्षित किया जा सके। डॉ. सिंह अच्छे से जानते हैं कि बाजार एवं मॉल में व्यापार और शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार कैसे किया जाना है। लेकिन उनके हाव-भाव से ये नहीं लगा कि वो काम कर रहे हैं। अगर इस धारणा को बनाने की कोशिश की जाती तो ज्यादा से ज्यादा नौकरियों का सृजन होता और शायद कांग्रेस थोड़ी बेहतर स्थिति में होती।