भोपाल. आज की बात फिर नहीं होगी…, ये मुलाकात फिर नहीं होगी…। ये बात इस हद तक सच साबित होगी, शायद किसी भोपाली संगीत प्रेमी ने नहीं सोचा होगा। वडाली ब्रदर्स के पूरनचंद्र वडाली और प्यारेलाल वडाली ने आखिरी बार भोपाल में इसी अंदाज में संगीत प्रेमियों से रूबरू हुए थे। वड़ाली ब्रदर्स की ये जुगलबंदी भोपाल के लोग कभी नहीं भूल पाएंगे।
-इस दौरान दोनों ही कलाकारों ने राजधानी की शाम को सूफियाना बना दिया। उन्होंने तू माने या न माने दिलदारा… और गुरु की शान में खुसरो रैन सुहाग की जो जगि पी के संग…, सुनाया। इन्हीं शानदार नगमों के साथ जब वडाली ब्रदर्स ने अपनी दमदार और सुकून देती आवाज से लोगों के दिलों को छू लिया।
छाप तिलक, सब छीनी…
-कार्यक्रम के दौरान मंच पर बैठते ही प्यारेलाल वडाली ने संगीत प्रेमियों से चर्चा करते हुए कहा था कि गाना बहुत सुना है। ये वो शहर है जहां सबसे ज्यादा श्रोता है, हम इस शहर में बहुत आए हमें यहां बहुत आनंद मिलता है। मैं आपसे कहना चाहूंगा, कि हम गाना गाते है नहीं, बाबा की हाजिरी करते है, कबूल कीजिए।
-इसके बाद वडाली ब्रदर्स ने छाप तिलक सब छीनी…, सुनाकर हर किसी को झूमने पर मजबूर कर दिया। सूफियाना कलाम और वडालीज की रूह तक उतर जाने वाली आवाज ने मानों महफिल पर जादू सा कर दिया। वो सुनाते जा रहे थे और सुनने वाले देर रात तक उनकी आवाज में खोए रहे।
अमृतसर के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में अंतिम सांस
-प्यारेलाल वडाली ने अपनी आखिरी सांस अमृतसर के फोर्टिस एस्कॉर्ट हास्पिटल में ली। बीमार होने की वजह से उन्हें गुरुवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पंजाबी सूफी भाईयों की जोड़ी वडाली ब्रदर्स के नाम से पहचाने जाते रहे हैं।
-अमृतसर के पास एक छोटे से गांव के रहने वाले वडाली ब्रदर्स दुनियाभर में अपनी गायकी के लिए काफी मशहूर थे। दोनों जालंधर के हरबल्ला मंदिर में परफॉर्म करने शुरू किया था, दोनों भाईयों की जोड़ी काफियां, गज़ल और भजन जैसी कई तरह की गायकी करते थे।