भोपाल। प्रदेश में हर साल हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही हैं। बीते एक साल में हेपेटाइटिस बी के संक्रमण वाले 700 नए मरीज भोपाल में मिले हैं। जबकि प्रदेश में नए मरीजों का आंकड़ा 4500 हो गया है। यह जानकारी हमीदिया अस्पताल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. आरके जैन ने हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण रिपोर्ट में दी है। इसे पिछले दिनों होटल पलाश में आयोजित नेशनल लीवर फाउंडेशन की कार्यशाला में जारी किया गया।
रिपोर्ट में डॉ. आरके जैन ने बताया कि हमीदिया अस्पताल में वर्ष 2013 में 10371 ब्लड डोनर्स के खून की जांच की गई। इनमें से 250 मरीजों में हेपेटाइटिस बी का वायरल मिला है। इसके अलावा प्राइवेट ब्लड बैंकों में इसके 450 मरीज मिले हैं। उन्होंने बताया कि भोपाल में हेपेटाइटिस बी और सी पॉजिटिव मरीजों की जानकारी जुटाने सभी सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंकों की टेस्ट रिपोर्ट का विश्लेषण किया था। डॉ. जैन ने बताया कि हेपेटाइटिस बी का वायरस ज्यादातर व्यक्तियों के पेट में निष्क्रिय अवस्था में पड़ा रहता है, जो अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर सक्रिय हो जाता है। मरीज को इसकी जानकारी बीमारी की आखिरी स्टेज में मिलती है।
कैंसर मरीजों को ज्यादा खतरा
स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के चेयरमेन डॉ. बीएस ओहरी ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा कैंसर मरीजों को होता है। इसकी वजह से व्यक्ति के शरीर में निष्क्रिय हालत में रहने वाला इसका वायरस मरीज की कीमोथैरेपी की शुरूआत होने पर सक्रिय हो जाता है। इससे व्यक्ति को पीलिया होने का खतरा बना रहता है। कैंसर मरीजों के इलाज के दौरान इस प्रकार की स्थिति न बने, इसके लिए कैंसर मरीजों की कीमोथैरेपी से पहले हेपेटाइटिस के संक्रमण का इलाज करने का प्रावधान ट्रीटमेंट गाइडलाइन में किया है।
डॉ. आरके जैन ने बताया कि भोपाल में हेपेटाइटिस के संक्रमण से पीडि़त सिर्फ एक फीसदी मरीज ही इलाज कराते हैं। शेष मरीज इसका इलाज कराने, बुलाने के बाद भी नहीं आते। इसकी वजह से हेपेटाइटिस के संक्रमण को लेकर लोगों में जागरूकता न होना है।
ठीक नहीं होता मां से बेटे को मिला संक्रमण
हमीदिया अस्पताल के गेस्टट्रोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. आरके जैन ने बताया कि मां से बेटे को मिला हेपेटाइटिस का संक्रमण दवाओं से ठीक नहीं होता। इसे दवाओं से केवल नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान अगर महिला हेपेटाइटिस के संक्रमण को रोकने की दवाएं लेती हैं, तो बेटे में इसके ट्रांसमिशन को रोकना संभव है।