गंजबासौदा। दिग्विजय सिंह और अमृता राय के फोटो जैसे ही सोसल मीडिया पर आये तो चर्चाओं का दौर शुरू हो गया। पूरे दिन सोसलमीडिया पर दिग्विजय सिंह और अमृता राय को लेकर चटकारेदार सूचनाएं आदन-प्रदान होती रहीं हैं, वैसे यह पूरा मामला दिग्विजय सिंह का नीजि मामला है पर दिग्विजय सिंह देश के प्रमुख नेताओं में गिने जाते हैं और आए दिन वह किसी न किसी को अपनी जुबान का शिकार बनाते हैं। इसी के चलते यह मामला और ज्यादा तूल पकड़ रहा है। यह सच है कि यह व्यक्तिगत मामला है इस पर ज्यादा चर्चा नहीं होना चाहिए पर जब कोई व्यक्ति देश का नेतृत्व करता है तो देश को उसके सिद्धांतों पर चलने की प्रेरणा मिलती है तो उस स्थिति में जनता अच्छे आचरण की उम्मीद करती है। जब भी इस तरह की कभी बात आती है तो जनता ऐसे ही उदाहरणों का सहारा लेती है। इसीलिए भगवान श्रीराम आर्दश स्थापित करने के लिए वन-वन भटकते रहे और माता सीता को बार-बार अग्रि परीक्षा देनी पड़ी। हम यह कहना नहीं चाहते क दिग्विजय सिंह कोई भगवान तुल्य हैं पर जब कोई पद पर बैठा व्यक्ति आचरणों से खिलबाड़ करता है तो आम जन मानस पर उसका प्रभाव पडऩा स्वभाविक है।
कांग्रेस के लिए यह स्थिति बड़े ही धर्मसंकट वाली है। जैसे-तैसें एनडी तिवारी का मामला सुलझा था अब दिग्विजय सिंह का मामला सामने आ गया। यहां दिग्विजय सिंह ने यह स्वीकार कर लिया कि उनके अमृता राय से प्रेम संबंध हैं। पर मात्र यह स्वीकार कर लेने से आप दूसरों के मुहं को नहीं रोक सकते क्योंकि अमृता राय अभी भी शादीशुदा हैं। भले ही उन्होंने तलाक के लिए आवेदन दे रखा हो पर तलाक नहीं हुआ है। ऐसे में लोगों की आलोचनाओं से नहीं बचा जा सकता। सवाल यहां यह उठ रहा है कि आज जहां देश में जिस्म के भूखे भेडिय़े उम्र की सीमाओं को पार सकते हुए तीन-तीन साल की बच्चीयों को अपनी हवस का शिकार बना रहे हैं। वहीं उम्रदराज बुजुर्ग नेताओं की आय्यासी मानसिकता जिसमें चाहे एनडी तिवारी हों, दिग्विजयसिंह हों, राघवजी हों या फिर संसद में पॉर्न फिल्म देखने वाले नेता हों। उनका इस तरह का आचरण आने वाली पीढ़ी को कोई अच्छा संकेत नहीं देगा। हम तो सिर्फ यही उम्मीद कर सकते हैं। भले ही व्यक्तिगत जिदंगी का हवाला देकर आप अय्यासी के समुद्र में डुपकी लगाना चाहते हो तो देश की राजनीति से छुट्टी लेकर संसारिक जीवन को आराम से जियो।