लाहौर। पाकिस्तान के लाहौर की भीड़ भरी सड़क पर एकाएक 150 बाइक्स धड़धड़ाती आईं और खड़ी हो गईं, जब जींस और चमकीली जैकेट पहने बाइक सवारों ने सफेद हेलमेट हटाया तो हर किसी की नजरें थम गई। ये सभी महिलाएं थीं जो ‘वुमन ऑन व्हील्स’ कैंपेन के तहत ट्रेनिंग के बाद हुई रैली में शामिल होने आईं थीं।

इस अभियान में हिस्सा बनीं 22 साल की तैयबा तारिक। वो और उन जैसी कई लड़कियां पुरुषों द्वारा तय की गई सीमाओं को तोड़ रही हैं। तैयबा बताती हैं कि ‘रोजाना मशक्कत करके बस पकड़ना और उसमें घुसने के बाद धक्के, बदतमीजी आम बात हो गई थी। कैब या रिक्शा में भी ड्राइवर पुरुष ही मिलते हैं। लैंगिक भेदभाव तो यहां सामान्य है।’
ऐसे हुआ कैंपेन का जन्म
रोजमर्रा की इन सब परेशानियों ने ही इस कैंपेन को जन्म दिया। इन मामलों को गंभीरता से लेते हुए पंजाब प्रांत की सरकार ने नवंबर में कैंपेन ‘वुमन ऑन व्हील्स’ शुरू किया। पहला चरण रविवार को पूरा हुआ, जिसमें 150 महिलाओं/युवतियों को ट्रेनिंग दी गई। साथ ही एलान भी हुआ कि 1 हजार पिंक बाइक/स्कूटर छात्राओं और वर्किंग वुमन को कम कीमत पर दिए जाएंगे।
