Thursday, September 25

देश में बढ़ते सेक्स कांड के पीछे जिम्मेदार कौन

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भारत कभी व्यवहार की नैतिकता, आचरण की शुचिता और जीवन मेुं ब्रह्मचर्य के लिए पूरी दुनिय में जाना जाता था आज वही भारत पूरी दुनिया में सेक्स स्कैण्डों के लिए शीर्ष पर पहुंच गया है। देश में ऐसा कोई नगर, गांव और कस्बा नहीं बचा है जहां सैक्स के रैकिटमारों का नेटर्वक न खड़ा हो। वर्ष 2006 में पूरे भारत में कुल 1540 सैक्स रैकेट अैर स्कैण्डल पकड़े गए जबकि नगरों की संख्या कुल 212 है। यह आंकड़ा दुनिया में किसी भी देश के लिए सबसे यादा है। यदि मध्यप्रदेश के अति अविकसित टिमरनी, भैसदेही जैसे कस्बों और जटिल सामाजिक ताने-बाने में एक दूसरे के बेहद करीब बैरागढ़ उपनगरी में कम्प्यूटर की तकनीकि का इस्तेमाल करके सैक्स रैकेट संचालकों का गिरोह हो सकता है तब सतना, हरियाणा के करनाल, उत्तप्रदेश के मेरठ, सहारनपुर, उत्तरांचल के देहरादून, कश्मीर के जम्मू या राजस्थान के उदयपुर में यदि लोग पकड़े जाते हैं तो कोई हैरत नहीं। इसी श्रृंखला में वे दो वारदातें भी हैं जो देश के हृदयप्रांत मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पिदले सप्ताह सामने आईं। यह भोपाल वही है जहां वर्ष 2006 में मासूम बालिकाओं के साथ बलात्कार की सबसे ज्यादा वारदातें घटी थीं। उस साल दो से नौ साल की उम्र वाली बालिकाओं के साथ सैक्स करके मार डालने की सबसे ज्यादा 13 वारदातें भोपाल में घटी थीं अब वही भोपाल इस साल सैक्स रैकेट में सबसे आगे है।
पिछले सप्ताह बैरागढ़ के सैक्स एस.एस.एस. कांड और मसाज पार्लर के माध्यम से देह व्यापार में जो नाम सामने आए हैं वे चौंकाने वाले हैं। इन दो बड़े कांडों के अलावा दो छोटी घटनाएं भी घटीं। एक युवक ने एक लड़की के नंगे प्रिंट बनाकर बाकायदा डाक से कुछ लोगों को भेजे। तो एक सरकारी स्कूल के जन शिक्षक ने अपनी साथी शिक्षिका को अपने मोबाइल पर नंगे चित्र दिखाए। शिक्षक ने जो नंगे चित्र दिखाए वे किसी पुरूष के थे लेकिन बाकी दो घटनाओं में नंगी तस्वीरें लड़कियों की थी ये लड़कियां किसी अन्जान शहर की खूबसूरत मॉडल नहीं थीं बल्कि वहीं आसपास की बस्तियों में रहने वाली सभ्रंात घरों की छात्राएं थीं। जो मसाज पार्लर की आड़ में जो सैक्स रैकेट संलिप्त नजर आईं।
पैसे के लिए सैक्स का व्यापार नया नहीं है। लेकिन वह दुनिया अलग है वह क्लास अलग है। संभ्रांत घरों की महिलाएं और छात्राएं इससे हमेशा अलग रही हैं। हां ऐसा यूरोप के कुछ नगरों के बारे में जरूर सुना गया है कि वहां छात्राएं अपना खर्च निकालने के लिए सैक्स व्यापार को बुरा नहीं मानती किंतु अभी यह चलन भारत में नहीं था। अब भोपाल के इस मसाज सैक्स कांड ने भारतीय समाज की नींव हिला दी है। यह खतरे की नई घंटी है। इससे पहले नासिक, दिल्ली, पूना, बैंगलौर और कलकत्ते के मसाज पार्लरों में जो छात्राएं पकड़ी गई थी वे सब भी समाज पार्लर की आड़ में सैक्स व्यापार करती थी यानि छात्राओं का सैक्स व्यापार भी राष्ट्रीय स्वरूप ले चुका है। वह चाहे मासाज पार्लर की आड़ में हो अथवा इंटरनेट कैफे के रूप में। मनचाही दोस्ती के विज्ञापनों में जो लड़कियां फ्रेंड्स क्लब के मार्फत रंगीन बातें करती हैं अथवा इंटरनेट चेटिंग में सैक्सी बातों में उतर आती हैं वे भी छात्राएं होती हैं और तथाकथित संभ्रांत घरों में ही ताल्लुक रखती हैं।
भोपाल की वारदात दिल्ली के फ्रेंड्स क्लबों या पूना से मसाज पार्लर से अलग है। भोपाल में लड़कियों को बाकायदा फंसाया गया था। इसमें भय और लालच दोनों का सम्मिश्रण था। लड़कियां मध्यम परिवार के ऐसे घरों से ताल्लुक रखती थी जो या तो कैरियर बनाने की अंधी हसरत लिए नैकरी की तलाश में निकली थीं अथवा नैकरी करके पैसे कमाना जिनकी मजबूरी थी। लड़कियों को बकायदा विज्ञापन देकर बुलाया गया था। उन्हें पहले मसाज के ही काम में लगाया था। मसाज की शुरूआत महिलाओं से की गई थी। फिर अतिरिक्त कमीशन का लालच देकर पुरूषों के मसाज में लगाया गया था। पुरूषों की मसाज केवल सिर और कंधों से शुरू की गई। लड़की के अभ्यस्त होते ही अथवा उसका संकोच शिथिल होते ही उसे पीठ, छाती और शरीर के अन्य स्थानों की मसाज में धीरे-धीरे बढ़ाया गया। फिर मसाज कराने आए पुरूषों ने मसाज करने वाली लड़की से हल्की छेड़छाड़ शुरू की। इसका जाने संकोच जाने के बाद बात आगे बढ़ी और लड़की के फोटो ले लिए गए। पुलिस तफ्तीश में जो बात सामने आई उससे साफ हो जाता है कि लड़की को धीरे-धीरे तैयार करने के लिए मसाज कराने आने वाले लड़के पार्लर के ही एजेंट थे। यह बात जब लड़कियों को पता चली तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस पार्लर के सैक्स व्यापार में जुड़ी तीन महिलाएं ऐसी मिलीं जो खुद मसाज कराने आती थी। आरोप है कि मसाज कराते वक्त उनकी तस्वीरें उतार ली गई थीं और उन्हीं तस्वीरों का भय दिखाकर उन्हें आनंद की दुनिया में मस्ती से जीने की सीख देकर तैयार किया गया। ये लड़कियां रो नहीं आती थी। बल्कि जब उनकी इच्छा होती तब आती खुद मस्ती के सागर में गोता लगाकर पैसे भी ले जाया करती थीं।
यह मसाज पार्लर पुलिस की नजर में चढ़ गया। अथवा एस.एम.एस. की शिकायत हो गई या शिक्षिका ने साथी शिक्षक की शिकायत पुलिस से कर दी तो वारदात सामने आ गई। इसके अलावा जो अभी सभ्य समाज के सामने नहीं आए उन प्रकरणों की गिनती नहीं की जा सकती। इस घटनाओं ने समाज के सामने एक खतरे के संकेत दिए हैं। क्या मध्यम वर्ग की उन लड़कियों का वह सपना पाप है जो अपने पैरों पर अपना बोझ खुद उठाना चाहती हैं, माता-पिता का वजन कम करना चाहती हैं और परिवार के अर्थतं9 में खुद भी सहभागी बनना चाहती हैं। शोषण दरअसल उने इसी भाव का है तो एस.एम.एस. कांड में ये विश्वास का दुरूपयोग है।