
रांची। लग्जरी ट्रेन की कई सुविधाओं के बारे में आपने पढ़ा और देखा होगा लेकिन क्या आपको पता है कि ट्रेन का ड्राइवर टॉयलेट भी नहीं जा सकता। इंजन में टॉयलेट होता नहीं और स्टेशन में वो अपनी मर्ज़ी से ट्रेन रोक नहीं सकता। मजबूरी में उसे घंटों तक अपने “नेचर कॉल” को रोक कर रखना पड़ता है।
40 की उम्र में बीमारियों से हो रहे ग्रसित
हटिया-राउरकेला रूट पर चलने वाले लोको पायलट विनोद उरांव ने बताया कि इंजन में टॉयलेट नहीं होने से काफी परेशानी होती है। नेचुरल कॉल पर नियंत्रण रखना पड़ता है। इस वजह से ट्रेन के ड्राइवर्स 40 की उम्र तक आते-आते विभिन्न बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इस ओर कई बार रेलवे अधिकारियों को भी बताया गया है पर अब तक कुछ भी नहीं हो सका है।
किडनी पर पड़ सकता है असर : एक्सपर्ट
रांची के फिजीशियन डॉक्टर रंजन पांडेय ने बताया कि नेचुरल कॉल रोकने से इन्फेक्शन हो सकता है। यह इन्फेक्शन किडनी को प्रभावित करता है। किडनी काम भी करना बंद कर सकती है। गैस्ट्रिक, डाइजेस्टिव सिस्टम सहित कई कॉम्पलीकेशन के शिकार हो सकते हैं। वहीं, 40 की उम्र के बाद प्रोस्टेट बढ़ने लगता है। एेसे में नेचुरल कॉल को रोक पाना मुश्किल है। चलती ट्रेन में नेचुरल कॉल आने पर ट्रेन पायलट का ध्यान भंग होने के चांस बढ़ते हैं। रांची रेल मंडल में करीब 600 लोको पायलट सहित 5 महिला पायलट हैं। जो किसी ना किसी पेट से संबंधित बीमारी से पीड़ित हैं।
रांची रेल मंडल के सीनियर डीसीएम नीरज कुमार ने बताया कि चलती ट्रेन में ड्राइवर को नेचुरल कॉल आए तो वह अगले स्टेशन को आइ एम नॉट वेल का संदेश भेजता है। इसके बाद उस स्टेशन पर उनके शौच की व्यवस्था कराई जाती है। इस दौरान ट्रेन को सेफ लाइन में रखा जाता है, ताकि दूसरी ट्रेन प्रभावित ना हो।