Saturday, October 18

55 से ज्यादा जगहों पर की गई मेगा मॉकड्रिल, चौंक उठे लोग

दिल्ली। शुक्रवार को सुबह दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में अचानक सायरन की आवाज गूंजने लगी और आपातकालीन वाहनों की आवाजाही बढ़ गई। चौंक उठे, लेकिन यह कोई असली आपदा नहीं थी, बल्कि एक पूर्व नियोजित मेगा मॉक ड्रिल थी। जिसे दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने ‘सुरक्षा चक्र अभ्यास’ के तहत आयोजित किया। इस अभ्यास का उद्देश्य भूकंप और औद्योगिक-रासायनिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों से निपटने की तैयारियों का परीक्षण और एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करना था। इस मॉक ड्रिल में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुल 18 जिलों ने हिस्सा लिया। दिल्ली-एनसीआर के 55 से अधिक स्थानों पर यह अभ्यास एक ही समय पर किया गया। यह पहला मौका था जब तीन राज्यों की कई एजेंसियां एक साथ जुड़ीं और एकीकृत आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली की व्यवहारिक समीक्षा की गई।

शुरू हुई रेस्क्यू कार्रवाई

सुबह जैसे ही निर्धारित समय पर सायरन बजा, एनडीआरएफ एसडीआरएफ दिल्ली पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, एनसीसी, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी संगठनों की टीमें तुरंत सक्रिय हो गईं। दिल्ली के दरियागंज स्थित गोलचा सिनेमा परिसर में अभ्यास के दौरान ऐसा दृश्य रचा गया, मानो किसी भूकंप ने इमारत को हिला दिया हो। फौरन एक डमी को इमारत के मलबे से निकाला गया, उसे प्राथमिक उपचार दिया गया और फिर नजदीकी ‘अस्पताल’ पहुंचाया गया। रेस्क्यू टीमों ने रस्सियों और सीढ़ियों की मदद से ऊपरी मंजिलों से लोगों को सुरक्षित नीचे उतारा। आसपास के लोग कुछ समय के लिए भ्रमित हो गए कि कहीं कोई असली दुर्घटना तो नहीं हो गई। बताया गया की इस मेगा मॉक ड्रिल में सशस्त्र बलों के प्रतिनिधि, एनजीओ, स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन  स्कूल-कॉलेज, व्यापारी संगठन और प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए। विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान, कार्य विभाजन और तकनीकी समन्वय को व्यवहार में लाने का यह व्यावहारिक मंच साबित हुआ। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के समन्वित प्रयास नागरिकों में भरोसा पैदा करते हैं और प्रशासन की तत्परता को नई धार देते हैं।